केरल के पत्रकार कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के आरोप में उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को शुक्रवार को जमानत दे दी। मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता कप्पन को जमानत देते हुए छह सप्ताह तक दिल्ली में रहने और उसके बाद उन्हें केरल जाने की अनुमति दी। पीठ ने जमानत स्वीकार करते हुए यह भी कहा कि याचिकाकर्ता करीब दो साल से जेल में है और आरोप तय होने में समय लगेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि कप्पन को तीन दिनों के अंदर निचली अदालत में पेश किया जाएगा। पासपोर्ट जमा करने और जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिहा कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीया एक दलित लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद कप्पन एवं अन्य हाथरस जा रहे थे, इसी दौरान पांच अक्टूबर 2020 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत में पिछली सुनवाई 29 अगस्त को जमानत याचिका पर बहस के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था, “मैं एक पत्रकार हूं, मैंने एक ऐसे संगठन के लिए काम किया, जिसका पीएफआई से संबंध था। मैं अब वहां काम नहीं कर रहा हूं। उन्होंने मुझे यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया कि मैं हाथरस क्यों गया। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार सरकार के वकील ने कहा था कि इस मामले में कुल आठ आरोपी थे। चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति दिल्ली दंगों और दूसरा बुलंदशहर दंगों का भी आरोपी है। अदालत ने कहा था कि सरकार को जो भी कहना है, लिखित रूप में दाखिल करें। इस पर श्री सिब्बल ने कहा था कि 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई है, लेकिन उन्हें केवल 165 पन्नों की ही चार्जशीट तामील की गई। आरोपी पत्रकार कप्पन ने वकील हारिस बीरन के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा है था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने दो अगस्त को जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। याचिका खारिज होने के कारण वह, “एक महत्वपूर्ण अधिकार से वंचित हो गया। याचिका में दावा किया गया था कि याचिकाकर्ता को झूठे आरोपों के आधार पर लगभग दो सालों से जेल में बंद रखा गया है। याचिकाकर्ता हाथरस बलात्कार और हत्या के मामले में रिपोर्टिंग के अपने पेशेवर कर्तव्य का निर्वहन करने की मांग की थी।