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यूनान के साथ रणनीतिक साझीदारी कायम

एथेंस।  भारत और यूनान ने आज अपने संबंधों को रणनीतिक साझीदारी के रूप में उन्नत करके सैन्य मामलों, साइबर सुरक्षा एवं रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में मजबूत सहयोग की रूपरेखा तय की और अधोसंरचना, कृषि, शिक्षा, नवीन एवं उभरती तकनीक और कौशल विकास के लिए सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूनान की प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस के साथ द्विपक्षीय बैठक में ये निर्णय लिए गए और कृषि के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए जिसमें पारस्परिक लाभ के लिए क्षेत्रीय सहयोग की सुविधा के लिए कृषि पर हेलेनिक-भारतीय संयुक्त उप-समिति की स्थापना भी शामिल है। इस अवसर पर जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा, सुरक्षा और सार्वजनिक कूटनीति सहित क्षेत्रों में नियमित बातचीत सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। वे भारत एवं यूनान के बीच सीधी उड़ानों को प्रोत्साहित करने पर भी सहमत हुए।

मोदी ने बैठक के बाद अपने प्रेस वक्तव्य में कहा, “आज प्रधानमंत्री जी और मैंने भारत-यूनान साझीदारी को ‘रणनीतिक’ स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। हमने तय किया है कि हम रक्षा एवं सुरक्षा, अधोसंरचना, कृषि, शिक्षा, नवीन एवं उभरती तकनीक और कौशल विकास के क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ा कर, अपनी रणनीतिक साझीदारी को मजबूती देंगे। उन्होंने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में, हमने सैन्य संबंधों के साथ-साथ, रक्षा उद्योगों को भी बल देने पर सहमति जताई। आज हमने आतंकवाद और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर भी चर्चा की। हमने तय किया कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के स्तर पर भी बातचीत का एक संस्थागत प्लेटफार्म होना चाहिए। मोदी ने कहा “हम सहमत हैं कि हमारा द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है और आगे भी बढ़ोतरी की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए हमने वर्ष 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है। हमारा मत है कि हम अपने देशों के बीच व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित कर, अपने उद्योग और आर्थिक सहयोग को एक नए स्तर पर ले जा सकते हैं।

उन्होंने कहा “आज कृषि क्षेत्र में सहयोग के लिए एक करार पर हस्ताक्षर किये गए। इस करार से हम कृषि और बीज उत्पादन के साथ साथ रिसर्च, पशुपालन और पशुधन उत्पादन के क्षेत्र में भी सहयोग कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच कुशल श्रमिकों के आव्रजन को सुगम बनाने के लिए, हमने जल्द ही एक आव्रजन एवं आवागमन साझीदारी करार करने का निर्णय लिया। हमारा मानना है कि अपने प्राचीन काल से चले आ रहे जनता के बीच संबंधों को नया रूप देने के लिए हमें सहयोग बढ़ाना चाहिए। हम अपने शिक्षण संस्थानों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान प्रदान को बढ़ावा देंगे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि बैठक में हमने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। यूनान ने भारत यूरोपीय संघ व्यापार एवं निवेश समझौते पर अपना समर्थन प्रकट किया। यूक्रेन के मामले में, दोनों देश कूटनीति और संवाद का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, यूनान के सहयोग के लिए मैंने उनका धन्यवाद किया। भारत की जी20 की अध्यक्षता को लेकर प्रधानमंत्री जी की शुभकामनाओं और प्रोत्साहन के लिए मैं उनका आभारी हूँ।” श्री मोदी ने हेलेनिक गणराज्य यूनान के लोगों और राष्ट्रपति कैटरीना साकेलारोपूलू के प्रति यूनान के शीर्ष नागरिक सम्मान ‘ग्रांड क्रास आफ ऑनर’ से सम्मानित करने के लिए आभार प्रकट किया और कहा कि उन्होंने 140 करोड़ भारतीयों की ओर से यह पुरस्कार स्वीकार किया है।

मोदी ने कहा “भारत और यूनान के साझा मूल्य हमारी लंबी और भरोसेमंद साझीदारी का आधार हैं। लोकतंत्र के मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने और उन्हें सफल रूप से प्रचलित करने में दोनों देशों का ऐतिहासिक योगदान है। मुझे विश्वास है कि भारतीय और ग्रीको-रोमन कला के सुंदर मिश्रण से बने गांधार स्कूल आफ आर्ट की तरह, भारत और यूनान की मित्रता भी समय की शिला पर अपनी अमिट छाप छोड़ेगी।”प्रधानमंत्री ने यूनान के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में हुई जनहानि के लिए अपनी और भारत के सभी लोगों की तरफ से संवेदनाएं प्रकट कीं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। प्रधानमंत्री ने यूनान और भारत के बीच मैत्री को एक स्वाभाविक मिलन करार दिया और कहा कि यह विश्व की दो पुरातन सभ्यताओं, दो पुरातन लोकतान्त्रिक विचारधाराओं और विश्व के पुरातन व्यापारिक और सांस्कृतिक शक्तियों के बीच संबंध हैं। उन्होंने कहा कि हमारे संबंधों की नींव जितनी प्राचीन है, उतनी ही मजबूत है। उन्होंने कहा , “ विज्ञान, कला और संस्कृति – सभी विषयों में हमने एक दूसरे से सीखा है। आज हमारे बीच भूराजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय विषयों पर बेहतरीन तालमेल है- चाहे वो हिन्द प्रशांत में हो या भूमध्यसागर में। दो पुराने मित्रों की तरह हम एक दूसरे की भावनाओं को समझते हैं और उनका आदर करते हैं। 40 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री का यूनान आना हुआ है। फिर भी, ना तो हमारे संबंधों की गहराई कम हुई है, ना ही रिश्तों की गर्मजोशी में कोई कमी आई है।