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उप चुनाव में भाजपा की जीत को सपा और अखिलेश ने जनमत की हार बताया

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ और रामपुर लोक सभा सीट पर हुए उप चुनाव के रविवार को घोषित किये गये चुनाव परिणाम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत को समाजवादी पार्टी (सपा) और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनमत की हार करार दिया है। वहीं आजमगढ़ सीट से सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव ने अपनी हार के लिये भाजपा और बसपा के बीच ‘परोक्ष चुनावी गठजोड़’ को जिम्मेदार ठहराया है। सपा की मीडिया सेल ने ट्वीट कर दोनों सीट पर भाजपा की जीत को छल और बेइमानी का नतीजा बताया। अखिलेश द्वारा रीट्वीट किये गये इस ट्वीट में पार्टी ने कहा, “भाजपा की ये जीत बेईमानी, छल, सत्ता का बल, लाठी और गुंडागर्दी का दम, लोकतंत्र और संविधान की अवहेलना, जोर जबरदस्ती और प्रशासनिक सरकारी गुंडई तथा चुनाव आयोग की धृतराष्ट्र दृष्टि तथा भाजपाई कौरवी सेना की जनमत अपहरण की जीत है। लोकतंत्र लहूलुहान है और जनमत हारा है। गौरतलब है कि आजमगढ़ और रामपुर सीट को सपा के कब्जे से छीन कर भाजपा ने इन दोनों सीटों पर उप चुनाव में जीत दर्ज की है। पिछले लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट पर स्वयं अखिलेश सांसद चुने गये थे, जबकि रामपुर सीट पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान जीते थे। गत विधान सभा चुनाव में अखिलेश और आजम के विधायक बनने के कारण इन दोनों ने लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस कारण हुए उप चुनाव में सपा ने अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेन्द्र यादव को आजमगढ़ सीट से और आजम के करीबी मोहम्मद आसिम रजा को रामपुर सीट पर उम्मीदवार बनाकर चुनावी दंगल को दिलचस्प बनाने की पूरी काेशिश की लेकिन पार्टी दोनों सीट पर जीत का परचम नहीं लहरा सकी। चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव परिणाम के मुताबिक आजमगढ़ सीट पर भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने धर्मेन्द्र को आठ हजार से अधिक मतों से परास्त कर दिया। निरहुआ 2019 के चुनाव में अखिलेश से हार गये थे। वहीं, रामपुर सीट पर भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी ने सपा के माेहम्मद आसिम रजा को 42 हजार से अधिक वोट के अंमर से हरा दिया।


अखिलेश ने भी चुनाव परिणाम को लाेकतंत्र की हत्या करार देते हुए सबूत के तौर पर चुनावी घटनाक्रम का उल्लेख किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “भाजपा के राज में लोकतंत्र की हत्या की क्रॉनॉलॉजी: नामांकन के समय चीरहरण, नामांकन निरस्त कराने का षड्यंत्र, प्रत्याशियों का दमन, मतदान से रोकने के लिए दल-बल का दुरुपयोग, काउंटिंग में गड़बड़ी, जन प्रतिनिधियों पर दबाव, चुनी सरकारों को तोड़ना, ये है आज़ादी के अमृतकाल का कड़वा सच। उप चुनाव के परिणाम पर आजम ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इसे न चुनाव कह सकते हैं, न चुनावी नतीजे आना कह सकते हैं। उन्होंने दलील दी कि 900 वोट के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 6 वोट डाले गए और 500 वोट के पोलिंग स्टेशन में सिर्फ 1 वोट डाला गया। जिस तरह से वोट डाले गए इसे वह सपा प्रत्याशी की जीत मानते हैं। धर्मेन्द्र ने आजमगढ़ में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “मैं अपनी हार के लिए बसपा-भाजपा के गठबंधन को बधाई दूंगा। जो प्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति के चुनाव में सामने आया और आजमगढ़ के चुनावों में पहले से चल रहा था। उन दोनों (बसपा और भाजपा के) लोगों को अपनी खुशी का इजहार करना चाहिये।

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