टॉप-न्यूज़दिल्ली/एनसीआरराज्यराष्ट्रीय

पूर्वी डीएफसी में अब नहीं बनेगा सोननगर दानकुनी खंड

नयी दिल्ली।  सरकार ने आखिरकार समर्पित मालवहन गलियारे के पूर्वी गलियारे के 538 किलोमीटर लंबे सोननगर दानकुनी खंड को अब नहीं बनाने और इसकी बजाय सोननगर से अंडाल के बीच रेलवे की लाइन पर तीसरी एवं चौथी पटरी बिछाने का फैसला किया है। इस प्रकार से पूर्वी डीएफसी में 538 किलोमीटर की दूरी कम हो गयी है और भविष्य में डीएफसी की दूसरी परियोजनाओं के भविष्य को लेकर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट किया कि सोननगर से दानकुनी अब नहीं बनेगा और सोननगर के बाद डीएफसी की लाइन भारतीय रेलवे के नेटवर्क के साथ एकीकृत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सोननगर से अंडाल तक चार लाइनें बनने से मालवहन आसान होगा और रेलवे के नेटवर्क दोनों की क्षमता बढ़ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इतना ही डीएफसी और भारतीय रेलवे के नेटवर्क के बीच इंटरलिंकिंग 18 और स्थानों पर बढ़ायी जाएगी ताकि दोनों नेटवर्क का अधिकतम इस्तेमाल किया जा सके।

उल्लेखनीय है कि डीएफसी की मूल परियोजना में पूर्वी डीएफसी पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी के बीच 1875 किलोमीटर का बनाया जाना प्रस्तावित था जिसमें सोननगर से दानकुनी के बीच 538 किलोमीटर के खंड का निर्माण निजी क्षेत्र की साझीदारी से कराने का प्रस्ताव था। रेल मंत्रालय ने इसके लिए अनेक बार शर्तों में बदलाव किया लेकिन कतिपय कारणों से निजी निवेश आकर्षित नहीं किया जा सका। इसके बाद रेलवे ने इसे अपने पैसे से बनाने की बात सोची लेकिन अंतत: यह फैसला हुआ कि सोननगर के आगे डीएफसी नहीं बनेगा और सोननगर से अंडाल तक चार लाइन बनने से अभीष्ट हासिल हो जाएगा।

डीएफसी निगम लिमिटेड की वेबसाइट में पूर्वी डीएफसी की लंबाई अब 1875 से घटा कर 1337 किलोमीटर दिखायी जा रही है और इसका काम 92 प्रतिशत पूर्ण दर्शाया गया है। जबकि पश्चिमी डीएफसी में 1506 किलोमीटर में से 87 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दिसंबर तक करीब 1400 किलोमीटर यानी वैतरणा तक डीएफसी संचालित कर दिया जाएगा।

रेलवे के जानकारों का कहना है कि रेलवे ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि डीएफसी बनाने के लिए अलग से जमीन का अधिग्रहण करना पड़ता जबकि भारतीय रेलवे के नेटवर्क में केवल पटरी बिछाने का खर्च होगा। रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2018 में एक सैद्धांतिक निर्णय लिया था कि देश में जितने मार्गों पर भी तीसरी या चौथी लाइन बिछेगी, वह डीएफसी के मानकों के अनुरूप बनेगी। सूत्रों के अनुसार इस निर्णय को क्रियान्वित भी किया जा रहा है। गौरतलब है कि डीएफसी की लाइन पर 32.5 टन एक्सेल लोड के साथ 5000 टन की मालगाड़ी सौ किलोमीटर से अधिक की गति से दौड़ती है। रेलवे के तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार यात्री ट्रेन 300 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक रफ्तार से दौड़ सकती है।

Leave a Reply