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शायर की बेटी ने खुद को नजरबंद किये जाने का आरोप लगाया

लखनऊ,
हाथरस की घटना के आरोपियों के पोस्टर लगाने जा रही मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने खुद को घर में नजरबंद किये जाने का आरोप लगाया है। हालांकि पुलिस ने इस आरोप को गलत करार दिया है। सुमैया ने सोमवार को बताया, ”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों महिलाओं के प्रति अपराध करने वालों की तस्वीर लगे पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगवाने के निर्देश दिये थे। इस पर उन्होंने हाथरस मामले को लेकर पोस्टर छपवाये थे, जिन्हें घंटाघर और आसपास के इलाकों में लगाया जाना था। मगर पुलिस ने उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया है।
Poet Munavwar Rana s daughters Uzma and Sumaiya rana were under house  arrest | मुनव्वर राना की बेटियां सुमैया और उज़्मा राना को पुलिस ने किया  नज़रबंद, जानें पूरा मामला | Hindi
उन्होंने कहा कि रविवार की शाम सात बजे से रात ढाई बजे तक उनके अपार्टमेंट के बाहर पुलिस बल तैनात कर उनके बाहर निकलने पर रोक लगायी गयी थी। उन्होंने बताया कि सोमवार को भी कुछ पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं और उन्हें हिदायत दी गयी है कि वह घर से बाहर न निकलें। इस बीच, कैसरबाग के थानाध्यक्ष दीनानाथ मिश्र ने सुमैया को नजरबंद किये जाने के आरोप को गलत बताया है।

अपने अपार्टमेंट पर ही टांग दिया पोस्टर 

मुनव्वर राना की बेटियां कैद: पुलिस ने घर में ही कर दिया नजरबंद, रुक गया धरना
उन्होंने कहा कि सुमैया किसी जुलूस में शामिल होने जा रही थीं। इस पर उनसे कहा गया कि वह बगैर अनुमति के किसी जुलूस में नहीं जाएंगी। सुमैया ने कहा कि पुलिस जो मुस्तैदी उन्हें नजरबंद रखने में दिखा रही है, अगर वह बहनों और बेटियों की सुरक्षा पर दिखाती तो तमाम वारदात न होतीं। उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ पोस्टर अभियान चलाया था, उसी तरह मुझे भी महिलाओं के प्रति अपराधों में लिप्त लोगों के विरुद्ध पोस्टर मुहिम चलानी है। मुझे पुलिस ने नजरबंद कर दिया है तो मैंने एक पोस्टर अपने अपार्टमेंट पर ही टांग दिया है। सुमैया ने कहा कि जहां तक पोस्टर का सवाल है तो अपराधी तो अपराधी ही होता है। अपराध को लेकर सरकार दोगला रवैया कैसे अपना सकती है। उन्होंने कहा कि वह अर्से से समाजसेवा के क्षेत्र में हैं और विभिन्न सरकारों के शासनकाल में अनेक प्रदर्शन और आंदोलन किये हैं, मगर इससे पहले कभी सरकार ने ऐसी दमनात्मक कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि यह सब सिर्फ विरोध की आवाज को दबाने की नाकाम कोशिश भर है।

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