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राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन ‘मानस’ की शुरुआत की शाह ने

नयी दिल्ली।  केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को यहां एक कार्यक्रम में नार्को कॉर्डिनेशन सेंटर की 7वीं शीर्ष स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन ‘मानस’ की शुरुआत करने के साथ साथ श्रीनगर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालय का वर्चुअल उद्घाटन भी किया। श्री शाह ने ब्यूरो की ‘वार्षिक रिपोर्ट 2023’ और ‘नशामुक्त भारत’ पर एक पुस्तिका भी जारी की। बैठक को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई में बहुत गंभीरता आई है और हम इसे एक अभियान के रूप में आगे बढ़ाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि असल लड़ाई तो अब शुरू हुई है क्योंकि अब हम इस लड़ाई में निर्णायक मोड़ पर हैं। उन्होंने कहा कि जब तक देश का 35 वर्ष से कम उम्र का हर नागरिक इस लड़ाई को लड़ने और 35 वर्ष से अधिक आयु वाला हर नागरिक मार्गदर्शन का संकल्प नहीं करता तब तक हम इस लड़ाई को नहीं जीत सकते। उन्होंने कहा कि सरकारें अकेले इस लड़ाई को नहीं जीत सकती बल्कि इस लड़ाई को देश की 130 करोड़ जनता के बीच ले जाने की सोच होनी चाहिए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों के सामने 2047 में आज़ादी की शताब्दी के समय भारत को विश्व में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति युवा पीढ़ी को ड्रग्स के अभिशाप से दूर रखकर ही संभव है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ यह लड़ाई बेहद महत्वपूर्ण है और इसे गंभीरता और प्राथमिकता के साथ लड़ने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई को अगर हम सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं देंगे तो हम इसे जीत नहीं सकेंगे। श्री शाह ने कहा कि 2004 से वर्ष 2023 तक 5,933 करोड़ रूपए मूल्य की 1,52,000 किलोग्राम ड्रग्स ज़ब्त की गई थी जबकि 2014 से 2024 के दस साल में ये मात्रा बढ़कर 5,43,000 किलोग्राम हो गई, जिसकी क़ीमत 22,000 करोड़ रूपए से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के प्रयासों के कारण ड्रग्स के कई नेटवर्क को ध्वस्त करने में भी सफलता मिली है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ड्रग्स का सबसे बड़ा नुकसान है कि यह भावी पीढ़ी को खोखला कर देती है और इसका आदी सदस्य अपने साथ-साथ अपने पूरे परिवार को भी घोर निराशा और हीनभावना से ग्रसित कर देता है। उन्होंने कहा कि इसका एक नया खतरा सामने आया है कि अब ये पूरा बिज़नेस ‘नार्को टेरर’ के साथ जुड़ गया है और देश की सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा ड्रग्स की कमाई से आने वाला पैसा बन गया है। श्री शाह ने कहा कि हमारे अर्थतंत्र को खोखला करने के लिए अर्थिक व्यवहार के चैनल्स भी ड्रग्स के व्यापार के कारण मज़बूत हुए हैं और कई इस प्रकार के संगठन बन गए हैं जो सिर्फ ड्रग्स ही नहीं बल्कि गैरकानूनी हवाला और कर चोरी के काम भी करते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग्स की तस्करी अब एक मल्टीलेयर्ड अपराध बन गया है जिससे हमें मज़बूती और सख्ती से निपटने की ज़रूरत है।

श्री शाह ने कहा कि सभी एजेंसियों, विशेषकर राज्यों की पुलिस का लक्ष्य सिर्फ ड्रग्स का उपयोग करने वालों को पकड़ना ही नहीं बल्कि इसके कारोबार में लगे लोगों को पकड़ने और पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए उपर से नीचे तक और नीचे से उपर तक जांच पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अगर देश की सीमा पर ड्रग्स का जखीरा पकड़ा जाता है तो इसकी जांच कर इसके पीछे का पूरा नेटनवर्क ध्वस्त करने की ज़रूरत है। श्री शाह ने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि न तो हम भारत में एक भी ग्राम ड्रग्स कहीं से आने देंगे और न ही भारत की सीमाओं का ड्रग्स के व्यापार के लिए किसी भी प्रकार से इस्तेमाल होने देंगे। उन्होंने कहा कि ड्रग्स कहीं से भी आए या कहीं भी जाए, हमें उसे गंभीरता के साथ लेना चाहिए और जब तक पूरी दुनिया एकसाथ नहीं लड़ती है हम इस लड़ाई को जीत नहीं सकते। श्री शाह ने कहा कि उन्होंने 2014 से ही नार्को कोर्डिनेशन सेंटर के क्रियान्वयन पर बहुत ज़ोर दिया है और इसके उत्साहजनक आंकड़े सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि ज़िलास्तरीय सेंटर जब तक काम नहीं करेंगे तब तक ये लड़ाई सफलतापूर्वक नहीं लड़ सकेंगे। गृह मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि ज़िलास्तरीय सेंटर मात्र चर्चा का फोरम न बनें बल्कि निर्णय और समीक्षा का मंच भी बनें।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज मानस पोर्टल का भी लोकार्पण हुआ है और इसके साथ कई अन्य पहल भी की गई हैं जिन्हें राज्यों और ज़िलास्तर की हर इकाई तक पहुंचाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्यों को नार्कोटिक्स फॉरेंसिक्स पर अपने बजट का एक हिस्सा खर्च करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही सरकार नारकोटिक्स के प्राथमिक टेस्ट के लिए बहुत सस्ती किट उपलब्ध कराने जा रही है जिससे केस दर्ज करने में बहुत आसानी हो जाएगी। श्री शाह ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने नशामुक्त भारत अभियान को अच्छी तरह से आगे बढ़ाया है और सभी धार्मिक, युवा और रोटरी संगठनों को भी इसमें जोड़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ इस लड़ाई में अभी हमें बहुत रास्ता तय करना बाकी है और अब हमें इसकी गति और व्यापकता बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि हमें गति बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़नी और व्यापकता बढ़ाने के लिए कई साथियों को साथ लेकर चलना होगा।

श्रीनगर में ब्यूरो का क्षेत्रीय कार्यालय भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा के माध्यम से हो रही मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ब्यूरो के अब 30 जोनल और 7 क्षेत्रीय कार्यालय हैं। ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्ट-2023 मादक पदार्थों की तस्करी और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ चल रही लड़ाई में ब्यूरो और अन्य एजेंसियों के प्रयासों तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालती है। बैठक में सभी हितधारकों – सभी मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और नशामुक्त भारत की दिशा में काम करने वाली सभी एजेंसियों के प्रमुखों ने भाग लिया। केन्द्रीय गृह सचिव, राजस्व सचिव, सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, निदेशक, इंटेलीजेंस ब्यूरो, महानिदेशक सहित केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।