अल्पसंख्यक अनुदान के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब तलब
नयी दिल्ली,
उच्चतम न्यायालय ने अल्पसंख्यक कल्याण के लिए केंद्र सरकार की ओर से दिये जाने वाले हजारों करोड़ रुपये के अनुदान पर केंद्र सरकार से गुरुवार को एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता नीरज शंकर सक्सेना एवं अन्य की ओर से पेश हो रहे वकील ने न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को अवगत कराया कि पिछली सुनवाई को डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद अभी तक सरकार ने जवाब नहीं दाखिल किया है। इसके बाद केंद्र सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने न्यायालय को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को लेकर आश्वस्त किया। न्यायालय ने इसकी अनुमति दे दी। अब इस मामले पर 23 जुलाई को सुनवाई हो सकती है।
याचिकाकर्ताओं ने 2019 में दाखिल याचिका में अल्पसंख्यकों के लिए 14 विशेष योजनाएं चलाने को गलत बताया गया था। याचिका में कहा गया है कि इन योजनाओं के लिए सरकारी खजाने से 4,700 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, लेकिन इसका कोई प्रावधान संविधान में नहीं है। उन्होंने इस तरह के अनुदान को संविधान विरुद्ध करार दिया है। वकील विष्णु जैन के ज़रिये दाखिल याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 27 इस बात की मनाही करता है कि करदाताओं से लिया गया पैसा सरकार किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देने के लिए खर्च करे। लेकिन सरकार वक्फ संपत्ति के निर्माण से लेकर अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों, महिलाओं के उत्थान के नाम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जो बहुसंख्यक वर्ग के छात्रों और महिलाओं के समानता के मौलिक अधिकार का भी हनन है।