‘सशस्त्र बलों महिला’ विषय पर लक्ष्मीबाई, इंदिरा गाँधी को याद किया राजनाथ ने
नयी दिल्ली,
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भूमिका विषय पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुरुवार को मां दुर्गा और रानी लक्ष्मीबाई के साथ साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को याद किया। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है और उनके बिना इसे नहीं जीता जा सकता। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘ उन्होंने वर्षों तक न केवल देश पर शासन किया बल्कि युद्ध के समय भी नेतृत्व किया। अभी कुछ समय पहले तक प्रतिभा पाटिल भारत की राष्ट्रपति थीं जो सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है।’ श्री सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी और पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल के बारे में अपनी इस टिप्पणी को ट्वीट भी किया। यहां रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित शंघाई सहयोग संघ (एससीओ) के एक वेबिनार में सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भूमिका विषय पर श्री सिंह ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ (सरकार में न रहते हुए सरकार की चालें चलने वाले व्यक्ति और गिरोह)’ तथा ‘गैर जिम्मेदाराना देश” आतंकवाद का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
श्री सिंह ने सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत का समृद्ध प्राचीन साहित्य इसका गवाह है। प्राचीन साहित्य में महिलाओं की इस क्षेत्र में भागीदारी के उदाहरण मिलते हैं जहां सरस्वती ज्ञान की देवी रही हैं वही दुर्गा सुरक्षा , ताकत और युद्ध से जुड़ी रही हैं। पालन पोषण और संरक्षण की महिलाओं की भूमिका आदिकाल से चली आ रही है। उन्होंने आधुनिक काल में भारत में महिलाओं के नेतृत्वकारी और ऐतिहासिक योगदान की चर्चा करते हुए झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की भूमिकाओं का उल्लेख किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भूमिका को काफी पहले पहचान लिया था और उन्हें वर्ष 1992 से ही सेना में कमीशन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मिले मौकों का ही परिणाम है कि आज सेना में महिलाएं लेफ्टिनेंट जनरल के स्तर तक पहुंच गई हैं और अगले वर्ष से देश की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एनडीए के दरवाजे भी महिलाओं के लिए खोल दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं की भूमिका जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई क्षेत्र या किसी देश की केवल आधी आबादी यानी पुरुषों के द्वारा ही नहीं जीती जा सकती इसमें महिलाओं की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा, “ एससीओ देशों के सभी नागरिकों को आतंकवाद के साझा खतरे से मिलकर निपटना होगा और महिलाएं भी सशस्त्र सेनाओं में तथा उससे बाहर भी दोनों जगह इसमें समान योगदान देंगी। ” रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षा की अवधारणा में आमूलचूल बदलाव आया है। युद्ध के स्वरूप बदलने के कारण यह खतरा हमारी सीमाओं से लेकर समाज के भीतर तक पहुंच गया है। आतंकवाद इसका सबसे खतरनाक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि ‘नॉन स्टेट एक्टर्स ’और ‘गैर जिम्मेदाराना देश’ राजनीतिक हितों के लिए आतंकवाद का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन शंघाई सहयोग संगठन ने हमेशा हर तरह के आतंकवाद को पूरी तरह से खारिज किया है। श्री सिंह के इस बयान को अफगानिस्तान के घटनाक्रम तथा इस दौरान पाकिस्तान तथा चीन की भूमिका से जोड़कर देखा जा रहा है।