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रेलवे लाने वाली है एलएचबी रैक वाले पुश-पुल ट्रेन सेट

नयी दिल्ली।  भारतीय रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस के ट्रेन सेट के बाद अब एलएचबी कोच के ट्रेन सेट बनाने की एक महत्वाकांक्षी योजना बनायी है जिसमें दोनों ओर 6000 हॉर्सपावर वाले पी-5 विद्युत इंजनों को लगाया जाएगा जिससे ट्रेन 160 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक गति से दौड़ने में सक्षम होगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार ये पुश-पुल ट्रेन सेट के लिए इंजन यानी लोकोमोटिव भी विशेष रूप से तैयार कराये जा रहे हैं। चितरंजन लोको कार्यशाला में इस पुश-पुल एलएचबी ट्रेन सेट का पहला प्रोटो टाइप इस वर्ष अक्टूबर नवंबर में तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रेन सेट में अंदर कोचों की संख्या या उनके प्रकार अलग अलग रह सकते हैं या उन्हें अलग अलग जरूरत के हिसाब से लगाया जा सकता है।

सूत्रों ने बताया कि पूरे विश्व में दो प्रकार के ट्रेनसेट प्रचलन में हैं। एक डिस्ट्रीब्यूटेड पॉवर सिस्टम वाले जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट जिसमें हर दूसरे या तीसरे कोच में मोटर लगी होती है और तीन या चार कोच पर एक पेंटोग्राफ होता है। दूसरे प्रकार का ट्रेन सेट ‘पुश-पुल’ तकनीक पर आधारित है जिसमें दोनों छोरों पर दो इंजन होते हैं और बीच में कोच लगे होते है। फ्रेंच रेल टीजीवी एवं स्पेन की टैल्गो के ट्रेन सेट इसी पुश-पुल तकनीक पर आधारित हैं जबकि जापान की शिन्कान्सेन एवं चीनी ट्रेन सेट डिस्ट्रीब्यूटेड पॉवर सिस्टम वाले ट्रेन सेट हैं। पी-5 लोकोमोटिव की मुख्य विशेषता रिजनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली है। इस लोकोमोटिव की ब्रेकिंग प्रणाली में 160 किलो न्यूटन (36000 पाउंड फोर्स) रिजनरेटिव ब्रेक्स, लोको डिस्क ब्रेक, स्वचालित ट्रेन एयर ब्रेक और चार्ज स्प्रिंग पार्किंग ब्रेक लगे होते हैं।

सूत्रों ने बताया कि देश में अब ट्रेन सेट को बढ़ावा दिया जा रहा है। वंदे भारत के ट्रेन सेट का निर्माण हो रहा है लेकिन भारतीय रेलवे में प्रचलित 36 हजार से अधिक एलएचबी कोचों में कुछ तकनीकी उन्नयन करके पुश-पुल तकनीक वाले ट्रेन सेट बनाये जाने की संभावना का अध्ययन करने के बाद इसे उपयुक्त पाया गया है। उन्होंने कहा कि एलएचबी कोच वाले ट्रेन सेट बनाने के लिए तीन तकनीकी बदलाव करने होंगे। पहला बदलाव स्वचालित द्वार लगाना, दूसरा- पुरानी डिज़ायन वाले कपलर्स को बदलकर वंदे भारत में उपयोग लाये जाने वाले आधुनिक कपलर्स लगाना और तीसरा उन्नयन- दो कोचों में कपलर्स के साथ एंटी क्लाइम्बर्स लगाना होगा। इस ट्रेन सेट में ब्रेक प्रणाली, दरवाज़े और विद्युत केबलिंग में ‘फेलसेफ’ प्रणाली लगायी जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस समय एलएचबी रैक में कपलर्स की गलत डिज़ायन के कारण गाड़ी के चलते समय बहुत झटके लगते हैं। वंदे भारत वाले कपलर्स लगाने से यह समस्या दूर हो जाएगी। एंटी क्लाइम्बर्स लगाने से दुर्घटना की दशा में कोच एक दूसरे पर चढ़ने से बच सकेंगे। स्वचालित होने से गाड़ी चलने पर दरवाजे बंद हो जाएंगे और गाड़ी रुकने पर भी खुलेंगे। इससे सुरक्षा एवं संरक्षा भी बढ़ेगी। तीन से चार साल में देश में केवल दो प्रकार के ट्रेन सेट चला करेंगे।

सूत्रों के कहा कि तेजगति से गाड़ियों का संचालन सुलभ करने के लिए संरक्षा के लिए कई काम हाथ में लिये गये हैं। पटरियों में भी बदलाव करने की योजना है। अभी तक 60 किलोग्राम वाली आर-260 पटरियां इस्तेमाल की जाती हैं लेकिन अब उन्नत आर-360 पटरियों को लगाने की योजना है। इन पटरियों का वजन तो 60 किलोग्राम होगा लेकिन उनकी ऊपरी सतह पर माइक्रो फ्रैक्चर की संभावना खत्म करने के लिए उसकी फोर्जिंग बढ़ायी जाएगी और अन्य धातुएं भी मिश्रित की जाएंगी। इससे पटरियों के टूटने के कारण दुर्घटनाओं की आशंका खत्म हो जाएगी। कवच प्रणाली के लिए 3000 किलोमीटर के टेंडर जारी हो चुके हैं और काम चालू हो चुका है। अब 6000 किलोमीटर के लिए टेंडर जारी किये जा रहे हैं। इसके अलावा मौजूदा पटरियों की सतह से माइक्रो फ्रैक्चर दूर करने के लिए ग्राइंडिंग करने और ग्राइंडिंग मशीनें खरीदने का इरादा है। सूत्रों के अनुसार इन उपायों से रेल दुर्घटनाओं पर लगाम लगायी जा सकेगी।

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