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जम्मू श्रीनगर को जोड़ने वाली रेल परियोजना पूरी: वैष्णव

नयी दिल्ली।  रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज घोषणा की कि जम्मू और श्रीनगर को रेललिंक से जोड़ने वाली परियोजना पूरी हो गयी है और रेल संरक्षा आयुक्त का प्रमाणपत्र मिलने के बाद शीघ्र ही जम्मू कश्मीर की शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन राजधानियों के बीच ट्रेन सेवा शुरू हो जाएगी। वैष्णव ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “आज का दिन ऐतहासिक है। जम्मू कश्मीर में श्रीनगर एवं जम्मू को रेललिंक से जोड़ने वाली परियोजना पूरी हो गयी है। अंतिम वैधानिक परीक्षण आज पूरा हो गया है। जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए एक बहुत अच्छी परिवहन व्यवस्था बन कर तैयार है। रेल संरक्षा आयुक्त का प्रमाणपत्र मिलने के बाद दोनों शहरों के बीच ट्रेन सेवा शुरू हो जाएगी।

वैष्णव ने कहा कि फिलहाल श्रीनगर से श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा के बीच विशेष रूप से पर्वतीय जलवायु के हिसाब से विकसित वंदे भारत एक्सप्रेस चलायी जाएगी जिसे अगस्त में जम्मू स्टेशन के विकास के बाद जम्मू तक शुरू किया जाएगा। जम्मू स्टेशन पर अभी तीन प्लेटफॉर्म हैं। पुनर्विकास के बाद आठ प्लेटफॉर्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि शून्य से दस डिग्री नीचे परिचालन में सक्षम इस वंदे भारत एक्सप्रेस में आठ कोच होंगे तथा मांग बढ़ने पर इन्हें बढ़ाया जाएगा। इनमें ऑक्सीजन कटरा से श्रीनगर के बीच की यात्रा करीब तीन घंटे में पूरी होगी। उल्लेखनीय है कि रेल संरक्षा आयुक्त के परीक्षण परिचालन में कटरा से बानिहाल के बीच आज 110 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति पर गाड़ी दौड़ायी गयी।

यह पूछे जाने पर कि क्या श्रीनगर से दिल्ली या देश के किसी अन्य भाग के लिए भी सीधी गाड़ी चलायी जाएगी, रेल मंत्री ने कहा कि इस परियोजना का मूल उद्देश्य जम्मू एवं श्रीनगर को जोड़ना था और दोनों शहरों के बीच ही गाड़ियां चलेंगी। देश के बाकी हिस्सों से श्रीमाता वैष्णोदेवी कटरा तक गाड़ियां पहले ही चल रहीं हैं। उन्होंने कहा कि श्रीनगर जम्मू रेलसेवा शुरू होने की आहट से व्यापारियों में खुशी की लहर है। इससे सामाजिक आर्थिक विकास को बल मिलेगा। हाल ही में रेलवे के जम्मू मंडल का भी गठन किया गया है।

रेल मंत्री ने ऊधमपुर श्रीनगर बारामूला रेललिंक परियोजना के करीब 23 वर्षों के कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण क्षणों को याद किया और कहा कि इस परियोजना के माध्यम से हिमालयीन भौगोलिक परिस्थितियों में सुरंग खोदने की विशेष तकनीक ईजाद की गयी है जिसे जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में रेल परियोजनाओं में क्रियान्वित किया जा रहा है। पहाड़ों में मिट्टी का क्षरण रोकने के लिए पॉलीयूरेथिन (पीयू) से रॉक बोल्टिंग की गयी है। सुरंग खोदने की नयी तकनीक के ईजाद होने का परिणाम यह है कि वर्ष 2014 में सुरंगे 150 किलोमीटर लंबी थीं जो अब 400 किलोमीटर से अधिक लंबी हो चुकीं हैं। केवल वर्ष 2023-24 में 89 किलोमीटर सुरंगों का निर्माण किया गया है। रेल मार्ग बनाने के लिए 215 किलोमीटर लंबी सड़कें बनायीं गयीं हैं। उन्होंने कहा कि सुरंग खोदने की नयी तकनीक से बिलासपुर मनाली लेह परियोजना का कार्यान्वयन काफी जल्द हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि इसी परियोजना के भाग विश्व के सर्वाधिक ऊंचाई वाला चिनाब पुल के निर्माण में एक छोर पर बेस बनाने में बहुत ही मशक्कत का सामना करना पड़ा और अंतत: सफलता प्राप्त हुई। इस पुल में 30 हजार टन इस्पात का प्रयोग किया गया है। पुल में प्रीलोडेड स्प्रिंग डैम्पर्स लगाये गये हैं जो रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के भूकंप के झटके भी झेल कर पुल को सुरक्षित रखेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सुरंगों के निर्माण से कई गांवों में पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर असर पड़ा। रेलवे ने करीब 15 से 20 स्थानों पर जलस्रोतों का प्रबंध किया। उन्होंने बताया कि एक सुरंग में मीथेन गैस का स्राव भी झेलना पड़ा जिसे बहुत ही सावधानी से निकाला गया। यदि थोड़ी भी असावधानी होती तो डेढ-दो सौ लोगों की जान भी जा सकती थी।

बुलेट ट्रेन परियोजना के बारे में पूछे जाने पर श्री वैष्णव ने कहा कि जापान के साथ सभी मुद्दों पर अच्छा तालमेल है और परियोजना में सभी चुनौतियों काे पूरा कर लिया गया है। सबसे महत्वपूर्ण समुद्र में ठाणे क्रीक के नीचे सुरंग की डिजायन का काम पूरा हो गया है। पुलों में कंपन आदि के महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिये हैं। परियोजना अच्छी गति से चल रही है। वंदे भारत के स्लीपर संस्करण के निर्माण में गतिरोध की खबरों को भी उन्होंने खारिज किया और कहा कि एक कोच में शौचालयों की संख्या के बारे में मुद्दा था और उसे सुलझा लिया गया है। हर कोच में अब तीन शौचालय होंगे। पैंट्रीकार नहीं बनायी जाएगी क्योंकि ये गाड़ियां रात्रिकालीन सेवा वाली होंगी।