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चीनी उत्पादन का मुनाफा किसानों के खातों में पहुंचना चाहिए: शाह

नयी दिल्ली।  केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि किसान की समृद्धि ही सरकार की प्राथमिकता है और उसका लक्ष्य चीनी उत्पादन का सारा मुनाफा किसान के बैंक खातों में पहुंचाना है। श्री शाह यहां नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के ‘चीनी उद्योग संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार 2022-23’ समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए और सहकारिता के आठ क्षेत्रों में सहकारी चीनी मिलों को राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने कहा कि हमारा देश पुराने समय से सहकारिता आंदोलन का साक्षी रहा है और सहकारिता हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित अनेक राज्यों ने इसमें नेतृत्व की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद सहकारिता आंदोलन में ज़रूरी बदलाव नहीं हुए और इसके कारण यह कुछ राज्यों तक सीमित रह गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया जिससे सहकारिता क्षेत्र में बहुत काम हुआ है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2013-14 में गन्ना उत्पादन का क्षेत्र 50 लाख हेक्टेयर था जिसे मात्र 10 साल में लगभग 18 प्रतिशत बढ़ाकर 60 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने में हमें सफलता मिली है। गन्ने का उत्पादन तीन करोड़ 52 लाख टन था जो आज 40 प्रतिशत बढ़कर चार करोड 91 लाख टन हो गया है। इसी प्रकार, उपज में 19 प्रतिशत और कुल चीनी उत्पादन में 58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इथेनॉल का उत्पादन और उसमें चीनी का डायवर्जन शून्य था, जो आज 45 लाख टन हैं। चीनी उद्योग से इथेनॉल की प्राप्ति पहले 38 करोड़ लीटर होती थी और उसका सीमित उपयोग होता था, जो आज 370 करोड़ लीटर हो गया है। श्री शाह ने कहा कि इन सब का सीधा फायदा किसानों की जेब में गया है।

उन्होंने कहा कि जब बायोफ्यूल अलायंस के ज़रिए दुनियाभर में जागरूकता पैदा होगी तब इसका सबसे बड़ा फायदा हमारे गन्ना किसानों और चीनी मिलों को होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सहकारिता के माध्यम से आर्थिक विकास के साथ-साथ ग्रामीण सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दिया है। श्री शाह ने कहा कि हमें चीनी मिलों को सक्षम बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार, मल्टीडायमेंशनल बायोफ्यूल प्रोडक्शन प्लांट लगाने के लिए हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि नेफेड सभी किसानों का शत-प्रतिशत मक्का और दलहन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि मक्का और बांस से बनने वाले इथेनॉल के लिए सरकार ने 71.86 रुपए प्रति लीटर की उच्चतम दर रखी है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव चीनी मिलों ने 2022-23 में इथेनॉल आपूर्ति में लगभग आठ प्रतिशत योगदान दिया है, इसे बढ़ाकर हमें 25 प्रतिशत करना होगा। उन्होंने कहा कि फेडरेशन ने सरकार , चीनी मिलों, प्रौद्योगिकी नवाचार और मार्केट की स्थिति के बीच पुल का काम किया है। उन्होंने कहा कि यह 259 चीनी मिलों का संघ है और नौ राज्य संघ इसके साथ जुड़े हैं, इसीलिए इसका विस्तार होना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि 10 साल के रोडमैप के तहत देशभर में गन्ना बुवाई के क्षेत्र की मैपिंग कर को-ऑपरेटिव चीनी मिल की संख्या बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीनी उत्पादन का सारा मुनाफा किसान के बैंक खाते में पहुंचे, यह लक्ष्य होना चाहिए।