प्रियंका के 40 फीसदी महिला उम्मीदवार बनाने के एलान से सियासी दलों के माथे पर बल
राजनीति-प्रियंका महिला बहस
नयी दिल्ली,
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का एलान करने से ज्यादातर राजनीतिक दलों के लिए एक नई चुनौती सामने आ खड़ी हुई है लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत ज़्यादातर राजनीतिक दलों ने कांग्रेस के इस फ़ैसले को सिर्फ़ राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं और हर राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुट गया है। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि वैसे तो प्रदेश की राजनीति धर्म और जातिगत वोटों में बंटी है और प्रत्येक राजनीतिक दल जातियों को अपने-अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगा है,लेकिन कांग्रेस ने महिलाओं के लिए 40 फीसदी सीटें देने का एलान कर प्रदेश की राजनीतिक बहस को दूसरी तरफ मोड़ दिया है। सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार ने कहा, “ इसकी बड़ी वजह यह है कि पिछले कुछ साल में यदि हम देखें तो पता चलता है कि 10 से ज़्यादा राज्यों में महिला मतदाताओं का टर्नआउट पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होने लगा है। इसके साथ ही एक दशक पहले तक जहां वोट देने में महिलाएं निजी तौर पर फ़ैसला नहीं लेती थी,लेकिन अब करीब 50 फीसदी महिलाएं वोट अपनी मर्जी से देने लगी हैं। जाहिर है कि राजनीतिक दलों की नजर अब महिला वोटर को आकर्षित करने में जुट गई हैं।” भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि भाजपा सरकार हमेशा ही महिलाओं को ताकत देने के पक्ष में रही है। केन्द्र की कैबिनेट में अब तक की सबसे ज़्यादा 11 महिला मंत्री हैं। उज्ज्वला योजना,आयुष्मान योजना में महिलाएं केन्द्र में रही हैं। उन्होंने कहा, “हम कांग्रेस की तरह खाली थाली देकर ताली नहीं बजाते।”
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया सुनेत्र का कहना था कि अब भाजपा को यह जवाब देना होगा कि क्या वह उत्तर प्रदेश में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देगी? सुश्री सुनेत्र ने कहा, “हम प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वह महिला आरक्षण बिल पास कराएं।” समाजवादी पार्टी का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल में महिला अपराधों की तादाद सबसे ज़्यादा बढ़ी है। महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले बढ़े हैं। बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कांग्रेस के एलान पर टिप्पणी कि ‘यह कोरी नाटकबाजी है। महिला उम्मीदवारों का हिसाब देखें तो साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 46 महिलाओं को टिकट दिए थे,इनमें से 35 महिलाएं चुन कर आईं। कांग्रेस के 12 महिला उम्मीदवारों में से दो, बसपा में 21 में से दो, समाजवादी पार्टी में 43 में से सिर्फ़ एक और अपना दल में दो उम्मीदवारों मे से एक विधायक बन कर आई।
साल 2019 के आम चुनावों में कुछ राज्यों में महिलाओं के वोट देखें तो यह राजनीतिक गणित समझना आसान हो जाएगा। सीएसडीएस के मुताबिक पिछले आम चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में जहां कुल 49 फीसद वोट मिले थे, लेकिन महिलाओं की हिस्सेदारी 51 फीसद थी,जबकि कांग्रेस को कुल छह फीसद वोट मिले थे और पांच फीसद महिलाओं इस पार्टी को वोट दिए। इसी तरह गुजरात में कांग्रेस को 32 फीसद वोट मिले,यहां 31 फीसद महिलाओं ने पार्टी को वोट किया जबकि भाजपा को कुल 62 फीसद वोट मिले थे,लेकिन 64 फीसद महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया। राजस्थान में कांग्रेस का 34 फीसद वोट मिले, मगर महिलाओं की हिस्सेदारी 37 फीसद रही,यहां भाजपा को कुल 58 फीसद वोट मिले,जबकि महिलाओं का वोट प्रतिशत 57 फीसद रहा। पश्चिम बंगाल में भाजपा को कुल 40 फीसद वोट मिले थे,यहां 38 फीसद महिलाओं ने उसे वोट दिया। कांग्रेस को यहां पांच फीसद वोट मिले और इतनी ही महिलाओं ने पार्टी के पक्ष में मतदान किया। यानी अब महिला वोटों को नज़रअंदाज़ करना राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं होगा, साथ ही 1996 से अटके महिला आरक्षण बिल के आगे बढ़ने का रास्ता भी यहीं से निकलने की संभावना बनती है।