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प्रधान ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यपुस्तक का किया विमोचन

नयी दिल्ली,

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यपुस्तक ‘इंट्रोडक्शन टू इण्डियन नॉलेज सिस्टम’ का सोमवार को विमोचन किया। इस पुस्तक को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित एस व्यासर और चिन्मय विश्वविद्यापीठ (एर्नाकुलम) के सहयोग से आईआईएम बैंगलोर के प्रोफेसर डॉ. बी. महादेवन, डॉ विनायक रजत भट्ट और डॉ नागेंद्र पवन आर.एन. ने लिखा है। यह कार्यक्रम आज अभातशिप (एआईसीटीई), नेल्सन मंडेला मार्ग, वसंत कुंज स्थित कार्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की ओर से वर्ष 2018 भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) पर पाठ्यक्रम का शुभारम्भ अपने आदर्श (मॉडल )पाठ्यक्रम के अंतर्गत अनिवार्य पाठ्यक्रम के रुप में किया गया। इस अवसर पर श्री धर्मेंद्र प्रधान जी ने कहा,“भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित ‘इंट्रोडक्शन टू इण्डियन नॉलेज सिस्टम’ पुस्तक भारत की महान सभ्यता के अंग रहे विद्वान आचार्यों द्वारा स्थापित किए गए भारत के लोकाचार, नवोन्मेष और नवाविचार पर आधारित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तकनीकी शिक्षा में नवाचारों को शामिल करने से भारतीय शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन आया है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि यह पाठ्यपुस्तक भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) की ज्ञानमीमांसा और ऑन्कोलॉजी को इंजीनियरिंग और विज्ञान के छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास है जिससे इस क्षेत्र में उनकी रूचि उत्पन होगी और वे इसे नवीन ज्ञान से सम्बद्ध कर पाएंगें, इससे अभिभूत होंगे और इसमें और आगे खोज करने का प्रयास करेंगे।


पाठ्यपुस्तक के लेखक डॉ. बी. महादेवन ने कहा, “पुस्तक,‘इंट्रोडक्शन टू इंडियन नॉलेज सिस्टम्स: कॉन्सेप्ट्स एंड एप्लिकेशन्स’, इंजीनियरिंग के छात्रों और उच्च शिक्षा संस्थानों के उन छात्रों के बीच की खाई को पाटने के उदेश्य से लेखकों के प्रयासों की परिणति है, जो भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) पर अभातशिप द्वारा आरंभ किए गए अनिवार्य पाठ्यक्रमों का अध्यन करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, नई शिक्षा नीति (एनईपी2022) ने उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) पर पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए एक स्पष्ट दिशा निर्देश प्रदान किया है, जिससे आने वाले दिनों में देश के कई उच्च शिक्षा संस्थानों में इस तरह के पाठ्यपुस्तक की आवश्यकता होगी। एआईसीटीई के अध्यक्ष डा. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा,“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचैन के युग में, तकनीकी संस्थान वैकल्पिक क्रेडिट पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) के अध्ययन की पारंपरिक शिक्षण प्रणालियों को अपनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्राचीन ज्ञान के विशाल भंडार को पुनर्जीवित करते हुए ये पाठ्यक्रम मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल होने से हमारे युवाओं में आत्मनिर्भरता पैदा कर सकते हैं।

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