मुंबई के कोलाबा जेटी परियोजना के खिलाफ दायर याचिका खारिज
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मुंबई के कोलाबा इलाके में गेटवे ऑफ इंडिया के पास यात्री जेटी परियोजना पर निर्माण कार्य जारी रखने की अनुमति देने वाले बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय निवासियों की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए बुनियादी ढांचे के विकास के विरोध पर सवाल उठाया। पीठ ने टिप्पणी की “यह ‘मेरे पिछवाड़े में नहीं’ वाला व्यवहार क्यों है? हर कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चाहता है, लेकिन अपने घर के पीछे नहीं।
उन्होंने इस तरह की पहल के व्यापक सार्वजनिक लाभ पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वाशी और डोंबिवली को समुद्री मार्ग से जोड़ने का भी प्रस्ताव है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने तर्क दिया कि इस परियोजना का उद्देश्य मुख्य रूप से अलीबाग जाने वाली नौका से यात्रा करने वालों के लिए एक निजी डॉकिंग सुविधा बनाना है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने हालांकि इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि जेटी दैनिक यात्रियों के लिए है। उन्होंने कहा, “यह गलत है… अटॉर्नी जनरल ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना दैनिक यात्रियों के लिए है। यह सभी मीडिया रिपोर्टों में भी सामने आया था।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सात मई के अपने आदेश में संबंधित परियोजना स्थल पर काम की अनुमति दी थी। अदालत ने यह अनुमति यह देखते हुए दी थी कि यह परियोजना जनहित में है और याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। ऐतिहासिक गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 280 मीटर की दूरी पर स्थित इस परियोजना में लाउंज, टिकट काउंटर, खुदरा दुकानें, कार्यालय स्थान और 150 वाहनों के लिए पार्किंग सुविधाओं सहित यात्री सुविधाओं का विकास शामिल है।
याचिकाकर्ताओं ने तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अनुमोदन और विरासत और यातायात अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) सहित परियोजना के लिए दी गई विभिन्न मंजूरी की वैधता पर चिंता जताई है। उन्होंने अनिवार्य सार्वजनिक परामर्श की कमी को एक महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक चूक के रूप में उद्धृत किया। सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इन चिंताओं के बावजूद हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया तथा परियोजना को जारी रखने की अनुमति देने वाले बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।