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नौसेना के लिए 19 हजार करोड़ की लागत से खरीदे जाएंगे गश्ती पोत

नयी दिल्ली।  रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारतीय शिपयार्ड कंपनियों के साथ नई पीढ़ी के 11 अपतटीय गश्ती पोतों और छह मिसाइल वेसल्स की खरीद के लिए 19,600 करोड़ रुपये के अनुबंध पर गुरुवार को हस्ताक्षर किए हैं। मंत्रालय ने आज यहां बताया कि यह खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता से कुल 9,781 करोड़ रुपये की लागत से की जाएगी। ग्यारह पोतों में से सात जीएसएल द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किए जायेंगे जबकि चार पोतों को जीआरएसई द्वारा निर्मित किया जाएगा। नौसेना को ये पोत सितंबर 2026 से मिलने शुरू हो जाएंगे ।

इन पोतों के अधिग्रहण से नौसेना अपनी लड़ाकू क्षमता को बनाए रखने और विभिन्न संचालन आवश्यकताओं जैसे समुद्री दस्यु रोधी, घुसपैठ रोधी, अवैध शिकार रोधी, एंटी-ट्रैफिकिंग, गैर-समाघात निकासी ऑपरेशन, खोज और बचाव (एसएआर), ऑफशोर परिसंपत्तियों का संरक्षण आदि को पूरा करने में सक्षम होगी। इन पोतों के निर्माण से साढ़े सात वर्षों की अवधि में 110 लाख श्रम दिवस का रोजगार पैदा होगा। मंत्रालय ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 9,805 करोड़ रुपये की लागत से अगली पीढ़ी के छह मिसाइल वेसल्स (एनजीएमवी) के अधिग्रहण के लिए भी अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। ये मार्च 2027 से नौसेना को मिलने शुरू हो जाएंगे।

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