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पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पीटीआई की परिसीमन पर याचिका की स्वीकार

इस्लामाबाद, 

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की याचिका के खिलाफ अभिलेखी कार्यालय की आपत्ति को खारिज करते हुए मामले की नियमित सुनवाई को स्वीकार कर लिया है। अभिलेखी कार्यालय ने देश भर में निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन की प्रक्रिया को रोकने के लिए पीटीआई के खिलाफ आपत्ति जतायी थी। यह जानकारी एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बुधवार को एक रिपोर्ट में दी। पीटीआई नेता असद उमर ने अभिलेखक के इस कदम के खिलाफ अपील दायर की थी, जिस पर न्यायधीश इजाजुल अहसन ने लगातार दो दिनों तक कक्ष में सुनवाई की। अभिलेखक ने अपनी आपत्ति में कहा था कि संबंधित मंच पर मामले को उठाने का अवसर होने के बावजूद याचिक सीधे सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी थी और याचिका में संबंधित प्रमाण पत्र भी नहीं थे। न्यायधीश एजाजुल हसन ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या तत्कालीन फाटा के खैबर-पख्तूनख्वा में विलय के बाद परिसीमन की आवश्यकता नहीं थी। इस पर पीटीआई के वकील ने जवाब दिया कि वर्ष 2017 के बाद से जनसंख्या अनुपात में कोई बदलाव नहीं आया है। दो दिन लगातार सुनवाई के बाद न्यायधीश ने याचिका पर सहमति प्रदान कर दी है। मामले को अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद निपटाया जाएगा।


पीटीआई इस महीने की शुरुआत में 11 अप्रैल को पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के घोषित परिसीमन कार्यक्रम को अवैध और असंवैधानिक ठहराते हुए शीर्ष अदालत गयी थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव पर्यवेक्षक और सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है कि आगामी चुनावी प्रक्रिया कानून और संविधान के अनुसार हो और बिना देरी के इसे पूर्ण किया जाए। आवेदन में कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा देश भर में प्रांतीय और राष्ट्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन को आगे बढ़ाने का प्रयास और उसके बाद जारी की गई अनुसूची अनुच्छेद 51(5) से अलग है। याचिका में कहा गया है कि संविधान के तहत वर्ष 2018 में किए गए परिसीमन अभ्यास को नयी जनगणना होने तक अंतिम माना जाना है, जिसके तहत चुनाव आयोग पहले किए गए परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने के लिए बाध्य है।

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