भारतीय डाक भुगतान बैंक के लिए लागत में एक तिहाई बढ़ोत्तरी
नयी दिल्ली ,
सरकार ने भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) की स्थापना के लिए परियोजना परिव्यय को 1435 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2255 करोड़ रुपये करने तथा नियामक आवश्यकताओं एवं तकनीकी उन्नयन को पूरा करने के लिए 500 करोड़ रुपये के भविष्यगत कोष के लिए भी सैद्धांतिक स्वीकृति दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। सूचना प्रसारण, खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां संवाददाताओं को मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य आम आदमी के लिए सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंक की स्थापन, बैंकिंग की सुविधा से वंचित लोगों के लिए बाधाओं को दूर करके और उनके घरों तक बैंकिंग की सुविधा मुहैया कराने एवं वित्तीय समावेशन के एजेंडे को आगे बढ़ाना है। यह परियोजना भारत सरकार के ‘कम नकदी’ वाली अर्थव्यवस्था से संबंधित दृष्टिकोण के पूरक है और साथ ही आर्थिक विकास और वित्तीय समावेशन दोनों को बढ़ावा देती है। भारतीय डाक भुगतान बैंक का एक सितंबर 2018 को 650 शाखाओं/नियंत्रण कार्यालयों के साथ देश भर में एक साथ शुभारंभ किया गया था। आईपीपीबी ने 1.36 लाख डाकघरों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया और लगभग 1.89 लाख डाकियों एवं ग्रामीण डाक सेवकों को स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक डिवाइस के साथ घरों तक बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार किया है।
आईपीपीबी के शुभारंभ के बाद से इसमें 82 करोड़ के कुल वित्तीय लेन-देन के साथ 5.25 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं, जिसमें एक लाख 61 हजार 811 करोड़ रुपये के साथ 21 हजार 343 करोड़ रुपये के 765 लाख एईपीएस लेन-देन शामिल हैं। 5 करोड़ खातों में से 77 प्रतिशत खाते ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए हैं, 48 प्रतिशत महिला ग्राहक हैं जिनके इन खातों में लगभग 1000 करोड़ रुपये जमा हैं। लगभग 40 लाख महिला ग्राहकों को उनके खातों में 2500 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्राप्त हुआ। स्कूली छात्रों के लिए 7.8 लाख से अधिक खाते खोले गए हैं। आकांक्षी जिलों में आईपीपीबी ने 19 हजार 487 करोड़ रुपये के कुल 602 लाख लेन-देन वाले 95.71 लाख खाते खोले हैं। वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित जिलों में, आईपीपीबी द्वारा 67.20 लाख खाते खोले गए हैं, जिसमें कुल 426 लाख के लेन-देन के साथ 13 हजार 460 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं। सरकार को 3500 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित हुआ है। प्रस्ताव के तहत शामिल कुल वित्तीय व्यय 820 करोड़ रुपये है। इस निर्णय से भारतीय डाक भुगतान बैंक को डाक विभाग के समूचे नेटवर्क का लाभ उठाते हुए पूरे भारत में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के अपने उद्देश्य को पूरा करने में सहायता मिलेगी।