टॉप-न्यूज़दिल्ली/एनसीआरराज्यराष्ट्रीय

बृजभूषण के खिलाफ आरोपपत्र पर अगली सुनवाई 19 अगस्त को

नयी दिल्ली।  दिल्ली की एक अदालत ने महिला पहलवानों द्वारा दायर कथित यौन उत्पीड़न मामले में भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप पत्र पर आगे की सुनवाई 19 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने आरोप पर दलीलें सुनने के लिए मामले को अगले शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया। सिंह के अधिवक्ता ने उनके खिलाफ आरोप तय करने का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत कोई मंजूरी नहीं है, लिहाजा भारत के बाहर किए गए कथित अपराधों की सुनवाई इस अदालत में नहीं की जा सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली के स्थानीय क्षेत्राधिकार के बाहर किए गए अपराधों की सुनवाई इस अदालत द्वारा नहीं की जा सकती।

वकील ने तर्क दिया कि आरोपों की सीमा तय हैं। चूंकि धारा 354ए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान है और एक आरोप को छोड़कर चूंकि आरोप 2017-18 की अवधि से संबंधित हैं लिहाजा सीमा की रोक लागू है। उन्होंने आगे कहा कि इस देरी के लिए पुलिस रिपोर्ट कोई पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं देती है और देरी को माफ करने के लिए कोई सामान्य स्पष्टीकरण स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह स्थापित कानून है कि यदि आंतरिक यौन उत्पीड़न समिति द्वारा जांच की जाती है और निष्कर्षों में आरोपी को दोषमुक्त कर दिया जाता है, तो समान तथ्यों से उत्पन्न समान आरोपों पर कोई नया मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

सरकारी वकील ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील की दलीलें गुणों पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा कि धारा 188 की रोक तब लागू होती है जब अपराध पूरी तरह से भारत के बाहर किया जाता है, अन्यथा नहीं। उन्होंने कहा कि विचाराधीन अपराध आंशिक रूप से दिल्ली में और आंशिक रूप से बाहर किए गए हैं अत: दिल्ली न्यायालय का अधिकार क्षेत्र होगा। वकील ने प्रस्तुत किया कि मामला स्पष्ट रूप से आईपीसी की धारा 354 के अंतर्गत आता है और सीआरपीसी की धारा 468(3) का सहारा लेते हुए, सीमा की रोक पर कोई प्रश्न नहीं हो सकता है।

उन्होंने दलील दी कि निरीक्षण समिति की रिपोर्ट को ऐसी रिपोर्ट नहीं कहा जा सकता जिसने आरोपियों को बरी कर दिया है, यह महज एक विभागीय जांच है और यह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र पर रोक नहीं लगाती है। उन्होंने अनुरोध किया कि अदालत रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को केवल प्रथम दृष्टया जांच के सख्त दायरे में देखने के लिए बाध्य है और इस स्तर पर लघु सुनवाई नहीं की जा सकती। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने दलीलें सुनने के बाद कहा, “शिकायतकर्ताओं के लिए एल.डी. वकील का कहना है कि एल.डी . वरिष्ठ वकील शिकायतकर्ताओं के लिए बहस करेंगे और इस उद्देश्य के लिए सुनावाई टालने का अनुरोध किया गया है। इस पर कोई आपत्ति नहीं है। आगे की बहस के लिए मामला 19 अगस्त को सुबह 11:30 बजे प्रस्तुत किया जाएगा।