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नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड को करना पड़ेगा विश्वास मत का सामना

काठमांडू।  नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा है और आज उन्हें संसद में विश्वास मत का सामना करना पड़ रहा है और उनका असफल होना लगभग तय है क्योंकि बहुमत हासिल करने के लिए उन्हें आधे से भी कम वोट मिले हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी, सबसे बड़े गठबंधन सहयोगी सीपीएन-यूएमएल द्वारा तीन जुलाई को सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री दहल अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ओली की अगुआई वाली सीपीएन-यूएमएल ने पिछले सप्ताह प्रचंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया और गठबंधन सरकार बनाने के लिए नेपाली कांग्रेस के साथ समझौता किया है।

मायरिपब्लिका की रिपोर्ट के अनुसार अब तक श्री दहल को केवल 63 वोट मिले हैं, जो 275 सदस्यीय संसद में बहुमत के लिए आवश्यक 138 से काफी कम है। दो सबसे बड़े दलों – नेपाली कांग्रेस (एनसी) और यूएमएल- द्वारा नई सरकार बनाने के लिए गठबंधन बनाने के बाद नेपाल में राजनीतिक परिदृश्य में नाटकीय ढंग से बदलाव आया। यह समझौता एक जुलाई की आधी रात को हुआ, जिसके परिणामस्वरूप यूएमएल ने तीन जुलाई को दहल की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। यूएमएल द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद अशोक राय के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी ने भी सरकार से हाथ खींच लिये। सीपीएन-यूएमएल के पास 77 सीटें हैं और नवगठित राय के नेतृत्व वाली पार्टी के पास प्रतिनिधि सभा में सात सीटें हैं। यूएमएल के समर्थन वापस लेने के बाद श्री दहल ने पांच जुलाई को शक्ति परीक्षण का फैसला किया।

श्री दहल ने संविधान के अनुच्छेद 100 (2) के अनुसार फ्लोर टेस्ट का विकल्प चुना। जिसमें “यदि प्रधानमंत्री जिस राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह विभाजित हो जाता है या गठबंधन सरकार में कोई राजनीतिक दल अपना समर्थन वापस ले लेता है, तो प्रधानमंत्री तीस दिनों के भीतर विश्वास मत के लिए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश करेंगे। प्रधानमंत्री दहल को उनकी सीपीएन (माओवादी सेंटर) से 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से 21 और सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) से 10 वोट मिलने की संभावना है। इससे पहले गुरुवार को यूनिफाइड सोशलिस्ट की संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री दहल को विश्वास मत देने का फैसला किया गया।

गौरतलब है कि गत चार जुलाई को आरएसपी नेताओं ने घोषणा की थी कि वे सरकार छोड़ देंगे, लेकिन पार्टी के मंत्रियों ने उस दिन बाद में पीएम दहल से मुलाकात के बाद तुरंत इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शक्ति परीक्षण तक उनका समर्थन मांगने के बाद वे अपनी योजना से पीछे हट गये। संसद की 275 सदस्यीय सदन में बहुमत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री दहल को 138 वोटों की जरूरत है। प्रतिनिधि सभा में 88 सीटों वाली नेपाली कांग्रेस और 77 सीटों वाली यूएमएल ने पहले ही प्रधानमंत्री दहल के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने भी दहल के खिलाफ वोट करने का फैसला किया है। जिसके पास 14 सीटें हैं।