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हर साल सात अगस्त को मनाया जायेगा राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस

नयी दिल्ली, 

नीरज चोपड़ा के पिछले सात अगस्त को टोक्यो ओलम्पिक में स्वंर्ण विजेता थ्रो फेंकने के उपलक्ष्य में अब से हर साल सात अगस्त को भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) इस दिन को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में मनाएगा। नीरज ने इस दिन टोक्यो में 87.58 मीटर तक भाला फेंककर भारत को इन खेलों के इतिहास में ओलम्पिक में एथलेटिक्स का अपना पहला और टोक्यो में अपना पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। एफआई की योजना समिति के अध्यक्ष डॉ ललित भनोट ने मंगलवार को यहां नीरज चोपड़ा के लिए आयोजित सम्मान समारोह में कहा,“हम अब से हर साल सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला दिवस के रूप में मनाएंगे। उन्होंने कहा,’पूरे भारत में भाला फेंक को बढ़ावा देने के लिए हम सात अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस के रूप में मनाएंगे और अगले साल से हमारी मान्यता प्राप्त इकाइयां इस दिन अपने अपने राज्यों में भाला फेंक प्रतियोगिता का आयोजन करेंगी।’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद अंतर जिला प्रतियोगिताएं होंगी और हम भाला मुहैया कराएंगे (क्योंकि काफी भालों की जरूरत होगी)। आगामी वर्षों में हम इस प्रतियोगिता में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय प्रतियोगिता बनाएंगे।’ एएफआई ने 2018 में राष्ट्रीय ओपन भाला फेंक चैंपियनशिप शुरू की थी जिसका तीसरा टूर्नामेंट इस साल अक्तूबर में होगा।

हर साल सात अगस्त को मनाया जायेगा राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस
सम्मान समारोह के दौरान चोपड़ा के पिता सतीश, मां सरोज देवी और चाचा भीम भी मौजूद थे। ओलम्पिक इतिहास में भारत के पहले ट्रैक एन्ड फील्ड पदक विजेता बने 23 वर्षीय नीरज ने कहा कि वह इस घोषणा से काफी गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यह जानकार अच्छा लग रहा है कि एएफआई मेरी उपलब्धि के दिन को आगामी वर्षों में इस तरह याद रखेगा।मुझे तब बहुत ख़ुशी होगी जब मेरे स्वर्ण विजेता प्रदर्शन युवाओं को एथलेटिक्स खास तौर पर भाला फेंक को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। ‘ नीरज ने सम्मान समारोह में संवाददाताओं से कहा, “यदि बच्चों को भाला और अन्य सुविधाएं मिलती हैं तो मुझे यकीन है कि खेलों को अपनाने के लिए आगे आयेंगे और भविष्य में वे पदक विजेता बन सकते हैं। ‘ पदक विजेता ने कहा कि उनके करियर का टर्निंग पॉइंट उस समय आया था जब उन्हें 2015 में केरल में हुए राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बाद राष्ट्रीय शिविर में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने के बाद उनके लिए सब कुछ बदल गया था -उपकरण, ट्रेनिंग सुविधाएं और डाइट। देश में सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीटों के साथ ट्रेनिंग एक अलग ही अनुभव था।
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अपने आगामी लक्ष्य के लिए नीरज ने कहा, “मैं राष्ट्रमंडल, एशियाई और ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुका हूं। मेरा अगला लक्ष्य अगले वर्ष ओरेगांव में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। विश्व चैंपियनशिप एक बड़ी प्रतियोगिता है और कई बार यह ओलम्पिक खेलों से भी मुश्किल होती है। नीरज ने कहा,’मैं केवल ओलम्पिक स्वर्ण से संतुष्ट रहने वाला नहीं हूं मैं राष्ट्रमंडल, एशियाई और ओलम्पिक खेलों के स्वर्ण पदक फिर जीतना चाहता हूं।’ एएफआई की उपाध्यक्ष और विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय अंजू बॉबी जॉर्ज ने इस मौके पर कहा कि उन्हें नीरज चोपड़ा की उपलब्धि पर गर्व है जिसने ओलम्पिक खेलों में भारत का एथलेटिक्स में 100 साल का इंतजार समाप्त किया। एएफआई ने इस अवसर पर तीन मिनट 00:25 सेकण्ड का नया एशियाई रिकॉर्ड बनाने वाली पुरुषों की 4×400 मीटर रिले टीम, महिला डिस्कस थ्रो के फ़ाइनल में पहुंच कर 6370 मीटर की थ्रो के साथ छठे स्थान पर रहने वाली कमलप्रीत कौर तथा पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड सुधारने वाले अविनाश साबले को भी सम्मानित किया।

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