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नायडू ने ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए तीन एफ उपलब्ध कराने पर जोर दिया

नयी दिल्ली,

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को राष्ट्रीय विकास तथा सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के अभियान में सशक्त बनाने हेतु तीन एफ- फंड (निधि), फंक्‍शन्‍स (काम) और फंगक्शनेरीज़ (पदाधिकारी) उपलब्ध करने की जरूरत पर बल दिया है। नायडू ने पंचायती राज मंत्रालय द्वारा ‘सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण’ पर आयोजित राष्ट्रीय हितधारक सम्मेलन का सोमवार को उद्घाटन करते हुए केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों से जिला परिषदों से पंचायतों को तीन एफ के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्थानीय निकायों को मजबूत और सशक्त बनाकर उन्हें पुनर्जीवित और संरक्षित करना होगा। सम्मेलन में पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल, पंचायती राज मंत्रालय में सचिव सुनील कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए निधि आवंटन जो 10वें वित्त आयोग में 100 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष था उसे बढ़ाकर 15वें वित्त आयोग में 674 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष करने का उल्लेख करते हुए कहा कि धनराशि सीधे उनके खातों में हस्तांतरित होनी चाहिए और उनमें कोई परिवर्तन, कमी और विचलन नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार जनता के लिए दिया जाने वाला हर अनुदान सीधे लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए। नायडू ने कहा कि भारत का लगभग 70 प्रतिशत हिस्‍सा ग्रामीण क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गांवों में जमीनी स्तर पर यानी पंचायत स्‍तर पर कार्रवाई करने की जरूरत होगी। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि देश में ग्रामीण स्थानीय निकायों के निर्वाचित 31.65 लाख प्रतिनिधियों में से 46 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को विधानसभाओं और अन्य कानून बनाने वाली निकायों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा, “महिलाओं को सशक्‍त बनाना समाज को सशक्‍त बनाना है।


नायडू ने कहा कि पंचायतों को 17 सतत विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) पर ध्यान केंद्रित करके एकीकृत ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, इन लक्ष्‍यों को गरीबी मुक्त, स्वच्छ, स्वस्थ, बच्चों के अनुकूल और सामाजिक रूप से सुरक्षित, सुशासित गांव सुनिश्चित करने के लिए नौ विषयों के तहत शामिल किया गया है। स्थानीय शासन में लोगों की प्रत्यक्ष भागीदारी को सक्षम बनाने में ग्राम सभाओं की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए,  नायडू ने कहा कि ग्राम सभाओं की बैठकों को वर्ष में एक बार आयोजित करने की व्यवस्था अनिवार्य करने की जरुरत है। उन्होंने सभी स्तरों पर पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल शासन की आवश्यकता पर जोर देते हुए पंचायती राज संस्थानों में स्मार्ट और सुशासन के लिए ई-ग्राम स्वराज जैसे डिजिटल समाधान प्रस्‍तुत करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि 2.38 लाख ग्राम पंचायतों ने ई-ग्राम स्वराज को अपनाया है।  नायडू ने शासन के डिजिटल मिशन को हासिल करने के लिए सभी पंचायतों को एक मंच पर लाए जाने का आह्वान किया। सम्मेलन में श्री सिंह ने कहा कि पंचायतों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी पंचायतों के लिए एक मास्टर प्लान होना चाहिए और इसे नवीनतम तकनीक का उपयोग करके तैयार किया जाना चाहिए। पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व के बारे में बोलते हुए उन्होंने पंचायतों की योजना, बजट और लेखा के लिए विकसित ई-ग्राम स्वराज ऐप के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सभी हितधारकों से एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने और पंचायतों को टिकाऊ बनाने के लिए साथ आने का भी अनुरोध किया। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने वास्तविक तय समय सीमा 2030 से 11 साल पहले 2019 में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होने पंचायत प्रतिनिधियों से पूर्ण स्वच्छता प्राप्त करने और अपशिष्ट प्रबंधन को अपनाने को कहा। श्री शेखावत ने कहा कि इससे कचरे को धन में बदलने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नया विश्वास पैदा करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय का लक्ष्य 2024 तक देश के प्रत्येक घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है।

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