मोदी ने यूएई की जलवायु निवेश फंड की घोषणा का किया स्वागत
दुबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) द्वारा प्रस्तावित जलवायु वित्तपोषण फ्रेमवर्क पहल और जलवायु निवेश फंड स्थापित करने की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया और कहा कि इससे उपलब्ध, सुलभ और किफायती जलवायु वित्तपोषण संभव हो पायेगा। श्री मोदी ने आज यहां यूएई की अध्यक्षता में आयोजित विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट फाइनेंस सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “हम सभी जानते हैं कि भारत सहित ग्लोबल साउथ के तमाम देशों की जलवायु परिवर्तन में भूमिका बहुत कम रही है। पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव उनपर कहीं अधिक हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद ये देश जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी बहुत ही ज़रूरी है। ग्लोबल साउथ के देशों की अपेक्षा है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए विकसित देश उनकी अधिक से अधिक मदद करें। ये स्वाभाविक भी है और न्यायोचित भी है। श्री मोदी ने कहा,“ अपनी जी-20 अध्यक्षता में, भारत ने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन इन दोनो विषयों को बहुत ही प्राथमिकता दी है। हमने एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य को अपनी अध्यक्षता का आधार बनाया और साझा प्रयासों से, कई विषयों पर सहमति बनाने में भी सफलता पाई।
उन्होंने कहा कि जी-20 में इसे लेकर सहमति बनी है कि जलवायु कार्रवाई के लिए 2030 तक कई ट्रिलियन डॉलर जलवायु वित्तपोषण की आवश्यकता है। ऐसा जलवायु वित्तपोषण जो उपलब्ध हो, सुलभ हो और किफायती हो । प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे आशा है की यूएई के जलवायु वित्तपोषण फ्रेमवर्क पहल से इस दिशा में बल मिलेगा। कल हुए, हानि एवं क्षतिपूर्ति कोष को क्रियान्वित करने के ऐतिहासिक निर्णय का भारत स्वागत करता है।
उन्होंने कहा,“ इससे सीओपी-28 शिखर सम्मेलन में नई आशा का संचार हुआ है। हम उम्मीद करते हैं सीओपी-28 शिखर सम्मेलन से जलवायु वित्तपोषण से जुड़े अन्य विषयों पर भी ठोस परिणाम निकलेंगे। पहला, सीओपी-28 में जलवायु वित्तपोषण पर नये सामूहिक परिमाणित लक्ष्य पर वास्तविक प्रगति होगी। दूसरा, ग्रीन क्लाईमेट फंड और एडाप्टेशन फंड में कमी नहीं होने दी जाएगी, इस फंड की त्वरित भरपाई की जाएगी। तीसरा, बहुपक्षीय विकास बैंक, विकास के साथ साथ क्लाइमेट एक्शन के लिए भी किफायती ऋण उपलब्ध कराएंगे और चौथा, विकसित देश 2050 से पहले अपना कार्बन जरूर खत्म करेंगे। उन्होंने यूएई द्वारा जलवायु निवेश फंड स्थापित करने की घोषणा का स्वागत किया।