आईएफएफआई-53 में ‘बीट्स और रिदम’ पर मास्टरक्लास हुई आयोजित
नयी दिल्ली। जाने माने संगीतकार और गायक जी. वी. प्रकाश कुमार ने शनिवार को कहा कि फिल्म के लिए संगीत तैयार करना कहानी और निर्देशक की मांग पर आधारित होता है। गोवा में 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में ‘बीट्स एंड रिदम’ पर एक मास्टरक्लास को संबोधित करते हुए जी.वी. ने कहा, “संगीत में कोई निरंतरता नहीं होती है, यह हमेशा परिस्थितिजन्य और गतिशील होता है। संगीत प्रारंभ से ही हमारे जीवन और संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है। निर्देशक और संगीतकार के बीच विश्वास और स्नेह एक महत्वपूर्ण पहलू है। संगीत की प्रक्रिया हर फिल्म में अलग-अलग होती है और कभी-कभी संगीत ही फिल्म में कहानी को सशक्त बनाता है, क्योंकि खामोशी हालात को बयां कर जाती है। लोक संगीत के महत्व का जिक्र करते हुए जी.वी. ने कहा कि लोक संगीत, स्वर और शब्दों का इस्तेमाल स्थान, संस्कृति और कहानी के कथानक को समझाने के लिए किया जाता है। संगीतकार को किसी कहानी के लिए संगीत तैयार करने से पहले भौगोलिक और सांस्कृतिक परिवेश को ध्यान में रखना चाहिए।
संगीत निर्देशक स्नेहा खानवलकर ने कहा कि संगीत की रचना एक समग्र और जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए दिल में जुनून की आवश्यकता होती है। अगर कोई अपने अनुभव, परिवेश और संस्कृति के आधार पर संगीत की रचना करेगा, तो वह हमेशा मौलिक और अनूठा होगा। सत्र का संचालन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म समीक्षक बारद्वाज रंगन ने किया। इफ्फी-53 में मास्टरक्लास और संवाद सत्र का आयोजन संयुक्त रूप से ‘सत्यजीत रे’ फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) और ईएसजी द्वारा किया जा रहा है। इस साल कुल 23 सत्र आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें मास्टरक्लास और संवाद सत्र शामिल हैं, जिससे फिल्म निर्माण के हर पहलू में विद्यार्थियों और सिनेमा में रुचि रखने वालों को प्रोत्साहित किया जा सके।