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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है मानव मंदिर : मोदी

नयी दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मांसपेशियों की कमजाेरी से संबंधित आनुवांशिक बीमारी ‘मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ की बड़ी चुनौती बताते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश में ‘मानव मंदिर’ नाम का केन्द्र इस रोग से ग्रसित रोगियों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरा है। श्री मोदी ने रविवार को यहां आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कहा कि विज्ञान ने भले ही कितनी ही प्रगति की है लेकिन मस्कुलर डिस्ट्राफी जैसी बीमारियां आज भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, “ हिमाचल प्रदेश में सोलन में एक ऐसा सेंटर है, जो मस्कुलर डिस्ट्राफी के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बना है। इसका नाम है – ‘मानव मंदिर’, इसे भारतीय मस्कुलर डिस्ट्राफी संघ द्वारा संचालित किया जा रहा है। मानव मंदिर अपने नाम के अनुरूप ही मानव सेवा की अद्भुत मिसाल है। यहां मरीजों के लिए ओपीडी और एडमिशन की सेवाएं तीन-चार साल पहले शुरू हुई थी।

मानव मंदिर में करीब 50 मरीजों के लिए बेड की सुविधा भी है। फिजोथेरेपी , इलेक्ट्रोथेरेपी और हाइड्रोथेरेपी के साथ-साथ योग-प्राणायाम की मदद से भी यहां रोग का उपचार किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस रोग से जुड़ी एक चुनौती इसके बारे में जागरूकता का अभाव भी है। इसीलिए, यह केंद्र हिमाचल प्रदेश ही नहीं, देशभर में मरीजों के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित करता है। उन्होंने कहा कि इस संस्था का प्रबंधन मुख्य रूप से इस बीमारी से पीड़ित लोग ही कर रहे हैं, जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, उर्मिला बाल्दी, संघ की अध्यक्ष संजना गोयल और विपुल गोयल, इस संस्थान के लिए बहुत अहम् भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव मंदिर को अस्पताल और अनुसंधान केन्द्र के तौर पर विकसित करने की कोशिशें भी जारी हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मुख्य रूप से एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें शरीर की मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं। रोगी के लिए रोजमर्रा के अपने छोटे-छोटे कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है ऐसे मरीजों के उपचार और देखभाल के लिए बड़े सेवा-भाव की जरूरत होती है।

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