दिव्यांगों की चर्चा सम्मानजनक से करें नेता: निर्वाचन आयोग का दिशानिर्देश
नयी दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग ने राजनीति चर्चा में दिव्यांग समुदाय के प्रति समावेश और सम्मान के भाव को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों के लिए दिशानिर्देशों का एक सेट जारी किया है। आयोग ने पहली बार ऐसा कदम उठाया है। आयोग ने कहा है कि राजनीतिक विमर्श/अभियान में दिव्यांगजनों को न्याय और सम्मान देना होगा। आयोग की ओर से गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इन दिशा निर्देशों में कहा, “राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को किसी भी सार्वजनिक बयान/भाषण के दौरान, अपने लेखन/लेख/आउटरीच सामग्री या राजनीतिक अभियान में दिव्यांगता या दिव्यांगों पर गलत/अपमानजनक/अपमानजनक संदर्भों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
विज्ञप्ति में कहा, “लोकतंत्र की बुनियाद चुनावी प्रक्रिया में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व में निहित है।” आयोग ने कहा है कि उसके लिए चुनाव में दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की समान भागीदारी सुनिश्चित करना एक ऐसा विषय है जिस पर समझौता नहीं किया जा सकता। आयोग ने राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों से दिशानिर्देशों का अक्षरश: पालन करने का आग्रह किया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि उसे पीडब्ल्यूडी के बारे में राजनीतिक चर्चा में अपमानजनक या आक्रामक भाषा के प्रयोग की शिकायतें मिली हैं।
आयोग ने आगाह किया है कि किसी भी राजनीतिक दल के सदस्यों या उनके उम्मीदवारों द्वारा भाषण/अभियान में इस तरह के शब्दार्थ का उपयोग दिव्यांगजनों के अपमान के रूप में समझा जा सकता है। आयोग ने दलों और उनके प्रतिनिधियों से किसी के लिए गूंगा (मूक), मंदबुद्धि (पागल, सिरफिरा), अंधा (नेत्रहीन), बहरा (बधिर), लंगड़ा (अपाहिज) आदि शब्दों के प्रयोग से बचने को कहा है। दिशानिर्देशों के अनुसार “राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को किसी भी सार्वजनिक भाषण के दौरान, अपने लेखन/लेखों या राजनीतिक अभियान में मानवीय अक्षमता के संदर्भ में दिव्यांगता/पीडब्ल्यूडी या दिव्यांगता/पीडब्ल्यूडी से संबंधित शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को दिव्यांगता/पीडब्ल्यूडी से संबंधित टिप्पणियों से सख्ती से बचना चाहिए जो आक्रामक हो सकती हैं या रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों को कायम रख सकती हैं। आयोग ने कहा है कि विकलांगता के बारे में मजाक, अपमानजनक संदर्भ या दिव्यांग व्यक्तियों के अपमान का पर किसी पार्टी या उसके प्रतिनिधि के खिलाफ दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 के प्रावधानों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। आयोग का निर्देश है कि राजनीतिक भाषणों, सोशल मीडिया पोस्ट, विज्ञापनों और प्रेस विज्ञप्तियों सहित सभी अभियान सामग्रियों की आंतरिक समीक्षा कर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनमें विकलांगों के प्रति कोई आक्रामक या भेदभावपूर्ण, या उस तरह की कोई भाषा न हो।
दिशानिर्देशों के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए और अपनी वेबसाइट पर घोषित करना चाहिए कि वे विकलांगता और लिंग संवेदनशील भाषा और शिष्टाचार का उपयोग करेंगे और साथ ही अंतर्निहित मानवीय समानता, समानता, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करेंगे। आयोग का कहना है कि सभी राजनीतिक दल राजनीतिक प्रक्रिया के सभी स्तरों पर पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए दिव्यांगता पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल प्रदान कर सकते हैं और सक्षम भाषा के उपयोग से संबंधित दिव्यांग व्यक्तियों की शिकायतों को सुनने के लिए नोडल प्राधिकारी नियुक्त करेंगे।
उल्लेखनीय है कि आयोग ने पिछले कुछ वर्षों में, दिव्यांगजनों के लिए वोट डालने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए दिशानिर्देशों और सुविधाओं की एक अच्छी तरह से डिजाइन की गई रूपरेखा शुरू की गई है। इन सुविधाओं में भूतल पर मतदान केंद्र का स्थान, ईवीएम की मतपत्र इकाई पर ब्रेल साइनेज, उचित ढाल के साथ रैंप का निर्माण, दिव्यांगजनों के लिए अलग कतारें (प्राथमिकता प्रवेश), व्हीलचेयर, अंधे/अशक्त व्यक्ति के साथ एक साथी को जाने की अनुमति शामिल है।