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जिनपिंग, पुतिन ने लिए अहम फैसले

बीजिंग।  चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गुरुवार को यहां बीजिंग ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल में एकांत में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नाटो के रुख को ‘विनाशकारी’ करार देने के साथ ही पूर्वोत्तर एशिया में शक्ति संतुलन को बदल कर अमेरिकी आधिपत्य स्थापित करने के प्रयासों की निंदा की। अपने पांचवे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद श्री पुतिन पहली विदेश यात्रा पर दो दिन की चीन की राजकीय यात्रा पर बीजिंग आये हैं। चीनी राष्ट्रपति ने आज यहां अपने पुराने मित्र रूसी राष्ट्रपति का पारंपरिक ढंग से भव्य स्वागत किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया।

श्री पुतिन ने अपने बयान में चीनी राष्ट्रपति के साथ उनकी बातचीत को असाधारण, गहन और सार्थक करार दिया। उन्होंने कहा, “चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हमारी आज की असाधारण गहन और सार्थक वार्ता को जारी रखते हुए द्विपक्षीय सहयोग के मौजूदा मुद्दों पर चर्चा करके बहुत खुश हूं।” उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति के साथ बातचीत के बाद संयुक्त वक्तव्य में चीन रूस द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए दीर्घकालिक दिशानिर्देश तय किये गये हैं।

श्री शी ने रूस के राष्ट्रपति के रूप में पांचवी बार शपथ लेने के लिए श्री पुतिन और रूस के लोगों को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि श्री पुतिन के नेतृत्व में रूस विकास के पथ पर निश्चित रूप से और अधिक प्रगति करेगा। चीन के राष्ट्रपति ने चीन-रूस के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह अवसर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में एक पड़ाव है। तीन चौथाई सदी के दौरान उतार-चढ़ाव के बावजूद चीन-रूस संबंध लगातार मजबूत हुए हैं और बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की कसौटी पर खरे उतरे हैं।

चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि यह रिश्ता प्रमुख देशों और पड़ोसी देशों के लिए एक-दूसरे के साथ सम्मान और स्पष्टता के साथ व्यवहार करने और दोस्ती और पारस्परिक लाभ को आगे बढ़ाने का एक अच्छा उदाहरण बन गया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वह और श्री पुतिन 40 से अधिक बार मिल चुके हैं और गहरे संपर्क में रहे हैं। चीन-रूस संबंध कड़ी मेहनत से बनाए गए हैं और दोनों पक्षों को इसे संजोने और पोषित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि चीन-रूस संबंधों का स्थिर विकास न केवल दोनों देशों और दोनों लोगों के बुनियादी हितों में है बल्कि क्षेत्र और दुनिया भर में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी अनुकूल है। श्री शी ने कहा कि नई यात्रा में चीन एक-दूसरे का अच्छा पड़ोसी, अच्छा दोस्त और एक-दूसरे पर भरोसा करने वाला अच्छा साझेदार बने रहने के साथ-साथ दोनों लोगों के बीच स्थायी मित्रता को मजबूत करने, संयुक्त रूप से संबंधित राष्ट्रीय विकास एवं पुनरोद्धार को आगे बढ़ाने और दुनिया में निष्पक्षता एवं न्याय कायम रखने के लिए रूस के साथ काम करने के लिए तैयार है।

बातचीत के बाद दोनों देशों के एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया जिसमें वैश्विक राजनीति को प्रभावित करने वाली कई अहम घोषणाएं की गयीं। रूस और चीन के नेताओं ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नाटो के रुख को ‘विनाशकारी’ करार दिया और विभिन्न देशों से टकराव वाली नीतियां अपनाने, दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने का आह्वान किया। वक्तव्य के अनुसार चीन ने संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के रूस के प्रयासों का समर्थन तथा उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध किया।

वक्तव्य में कहा गया कि किसी भी राज्य को दूसरों की सुरक्षा की कीमत पर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करनी चाहिए। रूस, चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के साथ राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और मानवीय संबंधों में सहयोग की संभावनाओं को मजबूत करने का संकल्प जताया और सैन्य निर्माण के माध्यम से पूर्वोत्तर एशिया (विशेष रूप से उत्तर कोरिया के संदर्भ में) में शक्ति संतुलन बदलने के अमेरिकी आधिपत्य प्रयासों का विरोध व्यक्त किया।

वक्तव्य में रूस, चीन ने अलग-अलग देशों द्वारा सशस्त्र टकराव के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करने के प्रयासों का विरोध किया तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बहुपक्षीय, पारदर्शी वैश्विक इंटरनेट प्रशासन प्रणाली सुनिश्चित करने की वकालत की। दोनाें देशों ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक चंद्र स्टेशन के निर्माण, चंद्रमा के अन्वेषण पर अंतरिक्ष में अपनी साझीदारी जारी रखने की भी बात कही।

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