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हाइड्रोजन, ईंधन सेल के लिये अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की बैठक

नयी दिल्ली।  अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिये अंतरराष्ट्रीय साझेदारी (आईपीएचई) की संचालन समिति की राजधानी में चल रही 41वीं बैठक में हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिये बिजनेस मॉडल, विनियम और बुनियादी ढांचे के बारे विचार-विमर्श किया गया। भारत की मेजबानी में यह बैठक राजधानी में 18 मार्च से 22 मार्च तक की गयी है। भारत ने सभी हितधारकों से प्राथमिकता के आधार पर अर्थव्यवस्था के सभी संभावित क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन की तैनाती को गति प्रदान करने के लिए साहसिक उपाय अपनाने का आग्रह किया। नयी और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की गुरुवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार आईपीएचई की संचालन समिति की 42 वीं बैठक नवंबर में यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह के दौरान यूरोपीय आयोग द्वारा की जाएगी। बैठक की औपचारिक कार्यवाही बुधवार को सुषमा स्वराज भवन में शुरू हुई।

इसमें ऑस्ट्रिया, चिली, फ्रांस, यूरोपीय आयोग, जापान, जर्मनी, नीदरलैंड, संयुक्‍त अरब अमीरात, इंग्‍लैंड, अमरीका, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया सहित इस बैठक में भाग लेने वाले देशों के आईपीएचई प्रतिनिधियों ने अनुसंधान और विकास, प्रमुख नीतिगत विकास और उनकी संघीय तथा प्रांतीय सरकारों द्वारा हाइड्रोजन के बारे में की गई पहलों पर अपने देश की नवीनतम स्थिति के बारे में जानकारी दी। विज्ञप्ति के अनुसार प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय स्वच्छ हाइड्रोजन रणनीतियों, हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और परिवहन से संबंधित अनुसंधान और विकास पहलों, मांग सृजन की स्थिति, बुनियादी ढांचा विकास, आपूर्ति और मांग का पैमाना और कार्यबल का कौशल बढ़ाने का उल्लेख किया।

समिति ने एक मजबूत हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिये हाइड्रोजन के परिवहन, उत्पादन और भंडारण के लिये व्यावसायिक मॉडल, वित्त, नीति, विनियम और सतत वाणिज्यिक एवं आर्थिक मॉडल के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भागीदारी की संभावनाओं के बारे में विचार-विमर्श किया। प्रतिनिधियों ने नियामक ढांचे, उत्सर्जन बचत का पता लगाने की पद्धति, समर्पित हाइड्रोजन बुनियादी ढांचा और बाजारों का निर्माण, हाइड्रोजन बैंकों और आयात-निर्यात गलियारे, जन जागरूकता, व्यापार करने में आसानी और उच्च दक्षता एवं कम लागत वाले दृष्टिकोण के बारे में भी इस चर्चा के दौरान विचार-विमर्श किया गया। समिति ने 40वीं संचालन समिति के निर्णयों और कार्यों तथा आईपीएचई की सदस्यता के बारे में भी समीक्षा की। इसने सुझाव दिया गया कि दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील के देशों सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये सदस्यता को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।

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