पनडुब्बी रोधी स्वदेशी युद्धपोत ‘अर्नाला’ नौसेना के बेड़े में शामिल
नयी दिल्ली। देश में ही बनाया गया अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत आईएनएस ‘अर्नाला’ बुधवार को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया जिससे नौसेना की मारक क्षमता काफी हद तक बढ जायेगी। आईएनएस अर्नाला को नौसेना के विशाखापत्तनम स्थित डॉकयार्ड में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान की उपस्थिति में नौसेना की पूर्वी कमान में शामिल किया गया। यह देश में ही बनाये जाने वाले इस तरह के 16 युद्धपोतों में से पहला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है। जनरल चौहान ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय नौसेना अब ‘खरीददार’ के बजाय ‘विनिर्माण’ करने वाली नौसेना के रूप में उभर रही है। अभी देश में बड़ी संख्या में युद्धपोत तथा अन्य नौसैनिक पोत निर्माणाधीन हैं जिससे भारत पोत निर्माण में एक दुर्जेय शक्ति के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि यह देश की ‘समु्द्री आकांक्षाओं’ का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी युद्धपोतों में अब अत्याधुनिक प्रणालियाँ हैं जिनमें स्टील्थ तकनीक से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और उन्नत सेंसर शामिल हैं। ये युद्ध की तैयारियों की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करते हैं। पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया आईएनएस अर्नाला निगरानी, खोज और बचाव मिशन तथा छोटे समुद्री अभियानों में सक्षम है। इसका वजन 1490 टन से अधिक है और 77 मीटर लंबा युद्धपोत डीजल इंजन-वॉटरजेट न द्वारा संचालित सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक युद्धपोत है। इससे न केवल भारत की रक्षा क्षमता मजबूत हुई है बल्कि इसे स्वदेशी डिजाइन, इंजीनियरिंग और विनिर्माण के क्षेत्र में उपलब्धि के तौर पर भी देखा जा रहा है।
इस युद्धपोत का नाम महाराष्ट्र के ऐतिहासिक तटीय किले के नाम पर रखा गया है और यह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए नौसेना क्षमताओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक कदम है। समारोह में नौसेना की पूर्वी कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ , वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति, और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स तथा लार्सन एंड टूब्रो शिपबिल्डिंग के प्रतिनिधि शामिल हुए।