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गुजरात उच्च न्यायालय को साबरमती आश्रम पर नए सिरे सुनवाई करने का आदेश

नयी दिल्ली, 

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महात्मा गांधी के परपोते तुषार अरुण गांधी की एक जनहित याचिका पर फिर से विचार करने का आदेश गुजरात उच्च न्यायालय को दिया। शीर्ष अदालत ने साबरमती आश्रम के प्रस्तावित पुनर्विकास से जुड़े एक मामले में हस्तक्षेप से इनकार वाले गुजरात उच्च न्यायालय फैसले को रद्द कर दिया तथा उस पर नए सिरे से विचार करने का आदेश दिया। तुषार गांधी ने गुजरात सरकार के प्रस्तावित पुनर्विकास परियोजना में कई गंभीर खामियां होने का दावा करते हुए उसके खिलाफ याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय के फैसले से निराश याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने उच्च न्यायालय के 25 नवंबर 2021 के आदेश को खारिज करते हुए योग्यता के आधार पर निर्णय लेने के लिए जनहित याचिका को उच्च न्यायालय के पास वापस भेज दिया। पीठ ने कहा, “हमारा मत है की उच्च न्यायालय इस मामले पर फिर से विचार करे तथा गुजरात सरकार को एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का अवसर दे।” शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर गौर किया कि उच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार की ओर से हलफनामा दायर किए बिना ही याचिका का निपटारा कर दिया था। पीठ ने गुजरात सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर भी गौर किया कि इस मामले को वापस संबंधित उच्च न्यायालय को भेज दिया जाए।


तुषार गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुनवाई के दौरान दोहराया कि याचिकाकर्ता इस परियोजना को रोकना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी आश्रम की देखभाल की जिम्मेदारी ट्रस्टों के पास है। उच्च न्यायालय द्वारा कोई आदेश पारित करने से पहले उन्हें विस्तार पूर्वक सुना जाना चाहिए था। जनहित याचिका में यह दावा करते हुए राज्य सरकार की पुनर्विकास परियोजना पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी कि जिस प्रकार से योजना बनाई गई है उससे आश्रम के प्राचीन स्वरूप पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। याचिका में यह भी कहा गया था कि साबरमती आश्रम की भूमि का महत्व केवल एक एकड़ जमीन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत और साबरमती नदी के तट पर करीब 100 एकड़ से अधिक की पूरी संपत्ति से जुड़ा हुआ मामला है। याचिका में गुजरात सरकार की पुनर्विकास योजना में कई खामियां बताते हुए उस पर तत्काल रोक लगाने का आदेश देने की गुहार लगाई गई थी।

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