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मानवाधिकारों पर बनी लघु फिल्म ‘चिरभोग’ को प्रथम पुरस्कार

नयी दिल्ली।  राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मानव अधिकारों पर आयोग की ओर से आयोजित आठवीं प्रतिष्ठित लघु फिल्म प्रतियोगिता में नीलेश अम्बेडकर की ‘चिरभोग’ को दो लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिए चुना है। यह फिल्म मराठी भाषा में है और इसमें अंग्रेजी के उपशीर्षक हैं। यह फिल्म एक लड़के की कहानी और उसके अपमानजनक संघर्षों के माध्यम से समाज में जाति और व्यवसाय आधारित निरंतर भेदभाव को उजागर करती है । श्रीमती भवानी डोले ताहू की ‘इनेबल्‍ड’ को 1.5 लाख रुपये के द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया है।

फिल्म एक अलग तरह से अक्षम बच्चे की कहानी के माध्यम से, दिव्यांगजनों के बारे में मानसिकता बदलने और माता-पिता द्वारा उनके पालन-पोषण में उनके जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के अधिकारों के प्रति भेदभाव को कम करने पर जोर देती है। यह फिल्‍म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ असमिया में है। टी. कुमार की ‘अचम थावीर’ को एक लाख रुपये के तृतीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह फिल्म एक छात्रा की कहानी के माध्यम से स्कूल में किसी भी तरह के अनुचित स्पर्श और यौन उत्पीड़न के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने की कोशिश करती है तथा शिक्षकों के साथ-साथ स्कूल प्रशासन को इसके बारे में सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर देती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके सम्मान और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन न हो। यह फिल्‍म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ तमिल में है।

आयोग ने ‘विशेष उल्लेख प्रमाणपत्र’ के लिए चुनी गई प्रत्येक फिल्म को 50,000/- रुपये का नकद पुरस्कार देने का भी निर्णय लिया है। इस लघु फिल्म पुरस्कार योजना का उद्देश्य मानवाधिकारों के संर्वधन एवं संरक्षण की दिशा में सिनेमाई और रचनात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करना करना है। प्रतियोगिता में कुल 123 लघु फिल्में शामिल की गई थी।

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