28-29 मार्च को कार्य बहिष्कार करेंगे बिजलीकर्मी
लखनऊ,
केन्द्र सरकार की निजीकरण की नीतियों एवं इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 के विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मी 28 व 29 मार्च को कार्य बहिष्कार करेंगे | विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बुधवार को यहां एक बैठक के बाद बयान जारी कर कहा गया कि केंद्र सरकार निजीकरण की दृष्टि से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को संसद में पारित कराने जा रही है जिसका बिजली कर्मियों और बिजली उपभोक्ताओं पर व्यापक प्रतिगामी प्रभाव पड़ने वाला है। बिल पर बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं से कोई राय नहीं ली गई है केवल औद्योगिक घरानों से ही विचार विमर्श किया गया है। केंद्र सरकार की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। बिजली कर्मियों की मांग है इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को जल्दबाजी में संसद से पारित कराने के बजाय इसे बिजली मामलों की लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए जिससे स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष बिजली कर्मी और उपभोक्ता अपना पक्ष रख सकें।
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजली कर्मियों की प्रमुख मांगे है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 वापस लिया जाए, ग्रेटर नोएडा के निजीकरण और आगरा का फ्रेंचाइजी करार, रद्द किया जाए, केरल के केएसईबी लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश के एचपीएसईबी लिमिटेड की तरह उत्तर प्रदेश में भी सभी बिजली निगम का एकीकरण कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन किया जाए, सभी बिजली कर्मियों को पुरानी पेंशन दी जाए। पिछले वर्ष आंदोलन के कारण वाराणसी, प्रयागराज और अन्य स्थानों पर बिजली कर्मियों पर की गई एफआईआर संघर्ष समिति और मंत्रिमंडलीय उप समिति के मध्य हुए 6 अक्टूबर के समझौते के अनुरूप वापस ली जाए। टीजी 2 का आंदोलन के कारण काटा गया वेतन दिया जाए। रिक्त पदों पर भर्ती की जाए और तेलंगाना की तरह सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।