निर्वाचन आयोग सूचकांक कार्ड, सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने में बढ़ा रहा है सूचना प्रौद्योगिका का प्रयोग
नयी दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने चुनाव संपन्न होने के बाद सूचकांक कार्ड और विभिन्न सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने के लिए सुव्यवस्थित और प्रौद्योगिकी-संचालित एक उन्नत प्रणाली बनायी है, जो पारंपरिक हस्तचालिक तरीकों के स्थान पर काम कर रही है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और निर्वाचन आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू तथा डॉ. विवेक जोशी की टीम द्वारा आयोग की प्रक्रियाओं और प्रणालियों को अधिक चाक-चौबंद तथा मतदाताओं और हितधारकों के अधिक अनुकूल बनाने के लिए कई नयी पहल की हैं। इसी तरह की एक पहल में संबंधी सूचकांकों और आंकड़ों पर आधारित रिपोर्टों को तैयार करने में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने के कदम उठाये गये हैं। हस्तचालिक तरीके इन रिपोर्टों और सूचकांकों को तैयार करना समय साध्य था। आयोग का कहना है की नयी स्वचालन और डेटा एकीकरण का लाभ उठाकर नयी प्रणाली के जरिए तेजी से रिपोर्टिंग सुनिश्चित की जा सकेगी।
आयोग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सूचकांक कार्ड एक गैर-सांविधिक चुनाव-पश्चात सांख्यिकीय रिपोर्टिंग प्रारूप है, जिसे निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, पत्रकारों और आम जनता सहित सभी हितधारकों के लिए निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर चुनाव-संबंधी डेटा प्राप्त करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए एक स्वप्रेरणा पहल के रूप में विकसित किया है। आयोग ने कहा है कि चुनाव संबंधी डेटा का प्रसार करने के लिए सूचना कार्ड को उम्मीदवार, मतदाता, डाले गये वोट, गिने गये वोट, पार्टी और उम्मीदवार-वार वोट शेयर, महिला-पुरुष आधारित मतदान पैटर्न, क्षेत्रीय विविधतायें और राजनीतिक दलों का प्रदर्शन जैसे कई आयामों में डिज़ाइन किया गया है।
सूचकांक कार्ड लोकसभा चुनावों के लिए लगभग 35 और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए 14 सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने का आधार है। इन रिपोर्टों में राज्य, संसदीय क्षेत्र और विधान सभा क्षेत्र वार मतदाता विवरण, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य और निर्वाचन क्षेत्र-वार मतदाता मतदान, महिला मतदाताओं की भागीदारी, राष्ट्रीय/ राज्यीय दलों और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) का प्रदर्शन, विजयी उम्मीदवारों का विश्लेषण, निर्वाचन क्षेत्रवार विस्तृत नतीजे और आंकड़ों के संक्षिप्त विवरण शामिल हैं। इससे शोधकर्ताओं की डेटा-संचालित संसाधनों के साथ गहन चुनावी शोध-क्षमता का विस्तार होगा। आयोग का कहना है कि ये सांख्यिकीय रिपोर्टें केवल शैक्षणिक और शोध उद्देश्यों के लिए हैं जबकि प्राथमिक और अंतिम आंकड़ा संबंधित पीठासीन अधिकारियों के बनाये गये वैधानिक प्रपत्रों में रहता है।
पहले ऐसी सूचनायें निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर भौतिक सूचकांक कार्ड में विभिन्न वैधानिक प्रारूपों का उपयोग करके हाथ से भरी जाती थी। इन भौतिक सूचकांक कार्डों का उपयोग बाद में सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा के लिए ऑनलाइन सिस्टम में डेटा प्रविष्टि के लिए किया गया। यह हस्तचालित और बहुस्तरीय प्रक्रिया समय लेने वाली थी तथा अक्सर डेटा उपलब्धता और प्रसार में देरी का कारण बनती थी।