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मूर्धन्य साहितत्यकार डॉ़ भगवती शरण मिश्र पंच तत्व में विलीन

नयी दिल्ली, 

प्रख्यात साहित्यकार पूर्व प्रशासनिक अधिकारी भगवती शरण मिश्र शनिवार को पंच तत्व में विलीन हो गये। उनका कल सुबह यहां पश्चिम विहार स्थित उनके निवास पर निधन हो गया था। वह 84 वर्ष के थे। डॉ मिश्र का अंतिम संस्कार राजधानी स्थित श्मशान गृह में किया गया। उनके मंझले पुत्र डॉ़ दुर्गाशरण मिश्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंत्येष्टि के मौके पर डॉ मिश्र के दामाद वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र एवं वरिष्ठ पत्रकार राजेश उपाध्याय और कई जाने-माने साहित्यकार, प्रशासनिक अधिकारी तथा गणमान्य लोग उपस्थित थे। हिन्दी साहित्य के विकास में महती भूमिका निभाने वाले पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डॉ ने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं। चार से अधिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में उनकी पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल की गयी हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध किया और कई छात्रों ने उनकी पुस्तकों पर शोधकर पीएचडी की डिग्री हासिल की है। उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।


धार्मिक एवं ऐतिहासिक उपन्यास लेखन के क्षेत्र में खास पहचान बनाने वाले डॉ़ मिश्र के मीरा बाई पर आधारित उपन्यास ‘पिताम्बरा’ को प्रेमचंद सम्मान समेत कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। अधोध्या में राम मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले उनके उपन्यास ‘मैं राम बोल रहा हूं’ को अद्वितीय प्रसिद्धि मिली है। डॉ मिश्र की पुत्री डॉ आशा मिश्रा उपाध्याय यूनीवार्ता में वरिष्ठ संवाददाता हैं। डॉ मिश्र ने हाल के दो वर्षों में ‘जनकसुता’ समेत पांच पुस्तकें लिखी हैं। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के साथ-साथ डॉ मिश्र साहित्य जगत को भी समृद्ध करते रहे। वह फिलहाल भगवान बुद्ध पर उपन्सास लिख रहे थे, जो अधूरा रह गया।

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