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डीएम की छापेमारी से आरटीओ कार्यालय में हड़कंप, सभी गेटों को बंद कराकर लोगों से की पूछताछ

डीएम ने शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए आरटीओ कार्यालय पहुंचकर अधिकारियों को लगायी फटकार, जनता का कार्य सुचारू रूप से कराने के दिए निर्देश।

लखनऊ। राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में आज डीएम ने ज्वाइंट कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर के साथ छापेमारी की। डीएम के कार्यालय में प्रवेश करते ही पूरा कार्यालय छावनी में तब्दील हो गया। कार्यालय में भारी पुलिस को देखकर आवेदकों मे दहशत व्याप्त हो गई। वहीं दलालों एवं अनधिकृत व्यक्तियों में हड़कंप मच गया। पुलिस देखकर कई ऑनलाइन जन सेवा केंद्र संचालक अपनी दकानें बंद करके तो कई दुकानें खुली छोड़कर ही फरार हो गए। पुलिस नें कार्यालय के सामने दुर्गा काम्प्लेक्स के साथ आस-पास की दुकानों एवं जनसेवा केंद्रों पर भी जाकर छापेमारी की। जिलाधिकारी के साथ छापेमारी में पुलिस फोर्स के साथ आरटीओ संजय तिवारी, एआरटीओ पी के सिंह, संभागीय निरीक्षक विष्णु कुमार एवं अन्य संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

डीएम ने कार्यालय के सभी गेटों को बंद कराकर स्वयं कार्यालय में उपस्थित सभी लोगों से पूछताछ की, और पहली बार आरटीओ कार्यालय के गेट नंबर 2 के सामने बने दुर्गा काम्प्लेक्स में जिलाधिकारी ने छापा मारा। दुर्गा कंपलेक्स सभी प्रकार के आरटीओ कार्यों के दलाली के लिए हमेशा से चर्चा में रहा है, लेकिन अभी तक इस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। डीएम ने आरटीओ संजय तिवारी को निर्देश दिया की परिसर में उपस्थित सभी गाड़ियों की फोटो खींचकर कार्यालय के सीसीटीवी के पिछले दो दिनों और आज के फोटो का मिलान करके जांच की जाए कि किस काम से आरटीओ ऑफिस लखनऊ में इन गाड़ियों एवं वाहन मालिकों का आना हुआ है, जांच उपरांत आवश्यक कार्यवाही करने का आदेश दिया है। बता दें आरटीओ कार्यालय में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से साठ-गांठ करके दलाल द्वारा अवैध कमाई के गोरखधंधे की शिकायतों और खबरें प्रकाशित होने के बावजूद जब संबंधित विभाग के जिम्‍मेदार अधिकारी मौन रहकर कार्रवाई नहीं कर रहे थे। तब डीएम सूर्यपाल गंगवार ने शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए आज मंगलवार को आरटीओ कार्यालय पहुंचे तो भगदड़ मच गयी। डीएम ने अफसरों को फटकार लगाते हुए आम लोगों का काम समय से कराने के निर्देश दिए।

सूत्रों के मुताबिक लाइसेंस बनवाने के लिए आम आदमी को महीनों आरटीओ कार्यालय चक्‍कर काटना पड़ता है। ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए लगभग 70% आवेदकों को तकनीकी समस्याओं से जूझने और की शिकायतें मिली। लोगों को तीन चार बार फीस जमा करने, तो कभी सर्वर की समस्या से डाटा ऑन टेस्ट ना होने, टेस्ट पास करने के बाद अप्रूवल ना होने ऑटोमेटिक रिमूव हो जाने जैसी समस्याओं से उनका लर्निंग लाइसेंस नहीं बन सका। तो वही कम पढ़े-लिखे लोगों को सेवा केंद्रों से अपना कार्य कराना पड़ता है। इसके साथ ही ऑनलाइन व्यवस्था की तकनीकी खामियों से परेशान होकर शिक्षित आवेदकों को भी जन सेवा केंद्रों का सहारा लेते है। जहां पर उनसे कार्य करने के नाम पर सुविधा शुल्क लेकर सभी कार्य आसानी से करा दिया जाता है। कई बार ये दलाल फॉर्म भरकर सिर्फ कैमरों के सामने फोटो ख‍िंचवाकर लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर घर भेजवा देते है। इसके साथ ही लबें समय से अटके जो काम नहीं हो पाते, उसे दलाल आसानी से करा देते है। वहीं लोग बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने से बेहतर सुविधा शुल्क देकर काम करवाने को मजबूर हो जाते है। और समय के अभाव में भाग दौड़ से बचने के लिए लोग सेवा केंद्रों पर जाकर अपना कार्य कराना ही उचित समझते है।