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दिव्यांगजनों के लिए जिला पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जाने चाहिएः मिश्रा

नयी दिल्ली।  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा ने शुक्रवार को यहां कहा कि दिव्यांगजनों के लिए जिला पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए ताकि वे भी अन्य नागरिकों की भांति अपने मानव अधिकारों का आनंद ले सकें। मिश्रा ने शुक्रवार को एनएचआरसी द्वारा ‘दिव्यांगता, समानता, न्याय’ (डीईजे) कार्य समूह के तत्वाधान से सिविल-20 (सी20) के लिए दिव्यांगता समावेशन पर आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। मिश्रा ने कहा कि दिव्यांलगजनों के लिए उचित अवसर आनुपातिक अवसर में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने नेत्र आघात (ऑक्युलर ट्रॉमा) के प्रभाव को रोकने और कम करने से सम्बन्धित एनएचआरसी की परामर्श का उल्लेख किया और कहा कि हितधारकों को खासकर दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए पुनर्वास सुविधाओं की स्थापना की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने नागरिक समाज संगठनों और गैर सरकारी संगठनों से भी सहयोग करने का आग्रह किया।

मिश्रा ने सभी से सार्थक विचार-विमर्श और सहयोगात्मक प्रयास करने का आग्रह किया, ताकि रणनीतियां विकसित की जा सकें। इससे सभी को लाभ मिलेगा। डीईजे वर्किंग समूह की समन्वयक निधि गोयल ने ‘वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने पर’ चर्चा में एक सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने ‘दिव्यांगता, समानता, न्याय वर्किंग ग्रुप’ के मुख्य निष्कर्ष प्रस्तुत किए। एनएचआरसी के सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहा कि ‘दिव्यांगता, समानता, न्याय कार्य समूह’ दिव्यांगता की आवाज को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि चर्चा प्रासंगिक थी, क्योंकि इससे कमियों को पहचाना गया है और बेहतर नीति चर्चा की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से एनएचआरसी को ऑनलाइन शिकायतें भेजने के लिए एचआरसी नेट पोर्टल का लाभ उठाने का भी आग्रह किया।

एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में दिव्यांलगजनों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में ठोस और सामूहिक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोगात्मक प्रयास और चर्चाएं दिव्यांंगजनों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते है और साथ ही उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। एनएचआरसी के संयुक्त सचिव डी. के. निगम ने कहा कि दिव्यांथगजनों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बैंकिंग समाधानों तक समान पहुंच, बीमा और अनुकूल प्रौद्योगिकी तक पहुंच को और बेहतर बनाने की जरूरत है। इस मौके पर एनएचआरसी सदस्य राजीव जैन, महानिदेशक (अन्वेषण) मनोज यादव, आयोग के वरिष्ठ अधिकारी, दिव्यां गजनों पर एनएचआरसी कोर ग्रुप के सदस्य, नागरिक समाज संगठन और गैर सरकारी संगठन उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि सिविल-20 (सी 20) का उद्देश्य वैश्विक महत्व के मुद्दों पर जी20 नेताओं के साथ जुड़ने के लिए नागरिक समाज संगठनों को एक मंच प्रदान करना है।

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