मत्स्य क्षेत्र का विकास हाेगा प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप: रूपाला
नयी दिल्ली। केन्द्रीय मत्स्य पालन मंत्री परशोत्तम रूपाला ने शनिवार को कहा कि मत्स्य क्षेत्र के विकास के लिए उनका विभाग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरूप निरंतर प्रयासरत है और निर्धारित लक्ष्यों को निश्चित रूप से हासिल किया जाएगा। श्री रूपाला ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर यहां आयोजित कार्यक्रम में कहा कि देश में मत्स्य पालन, मत्स्य विपणन आदि में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत के विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनने में मत्स्य क्षेत्र का भी योगदान है। सरकार ने 2025 तक भारत में सालाना दो करोड़ 20 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है। पहले मत्स्य क्षेत्र का सालाना बजट केवल 600-700 करोड़ रुपये तक सीमित था जो अब बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है। यह इस तथ्य का परिचायक है कि सरकार और उनका विभाग मत्स्य क्षेत्र के विकास के लिए कितना संजीदा है। उन्होंने कहा कि भारत दूरस्थ समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए बेहतर उपायों को प्रोत्साहित करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का विजन है कि देश मत्स्य का ‘हब’ बन जाए। इसके लिए निरंतर प्रयास किया जायेगा। उन्हाेंने कहा, “ मत्स्य क्षेत्र का विकास इस तरह किया जाना चाहिए कि मछलियों का उत्पादन बढ़े, इसकी खपत बढ़े, इसका निर्यात बढ़े लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी पर्याप्त मछलियां उपलब्ध होती रहें। मत्स्य बीज की प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही इसकी गुणवत्ता पर खासा ध्यान रखना होगा। मैं मछली बीज की गुणवत्ता पर निरंतर बल देता रहा हूं और आगे भी इस पर और काम किया जायेगा। रूपाला ने कहा कि सरकार मत्स्य पालकों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रख रही है और मत्स्य किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड आसानी से मिले इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि अगले बजट में और ज्यादा धन विभाग को मिले, इसके लिए वह पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि मछली पालन से संबंधित कोई भी नीति पत्र तैयार हो तो उसे प्रांतीय भाषाओं में जरूर उपलब्ध कराया जाए। इससे पहले मत्स्य पालन और व्यवसाय में लगे एवं क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पुरस्कृत लोगों ने इस क्षेत्र के अपने अनुभव भी साझा किये। उल्लेखनीय है कि भारत में वर्तमान में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष पांच से छह किलोग्राम मछली की खपत है जबकि जापान जैसे देशों में यह आंकड़ा 12 से 13 किलोग्राम है। सरकार की योजना प्रति व्यक्ति मछली की खपत बढ़ाने की है।