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खाद्य सुरक्षा के लिए अर्बन फार्मिंग को अपनाना समय की मांग: सिसोदिया

नयी दिल्ली,

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अर्बन फार्मिंग को अपनाना समय की आवश्यकता है, जिससे लोगों को खेती से जुड़ने और उसका अनुभव करने का मौका मिलेगा। श्री सिसोदिया ने शनिवार को यहां त्यागराज स्टेडियम में देश के पहले दो दिवसीय ‘स्मार्ट अर्बन फार्मिंग एक्सपो’ का उद्घाटन के बाद कहा कि एक्सपो का आयोजन भविष्य के दृष्टिकोण से दिल्ली में अर्बन फार्मिंग की एक नई क्रांति लाने के लिए किया जा रहा है ताकि यह दिल्ली की हर छत और बालकनी तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अर्बन फार्मिंग को अपनाना समय की आवश्यकता है, साथ ही इससे लोगों को खेती से जुड़ने और उसका अनुभव करने का मौका भी मिलेगा। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति का जीवन खेती के माध्यम से चलता है, इसलिए हम सभी एक प्रकार से ‘कृषिजीवी’ हैं। गांवों में खेती और सोशल मीडिया दोनों हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों में, लोग सोशल मीडिया पर अधिक निर्भर हैं और साल भर हमें भोजन देने वाले किसानों की भूमिका को भूल जाते है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली की एक खामी यह है कि यहां उत्पादकों की भूमिका पर पर्याप्त जोर नहीं दिया गया है। देश में आज किसानों की भूमिका को न समझने के कारण खाद्य असुरक्षा और खाद्य गुणवत्ता संकट जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अर्बन फार्मिंग अपनाने से लोग अपने जीवन में किसानों की भूमिका को समझ पाएंगे।


श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार अगले कुछ महीनों में दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 400 – 500 कार्यशालाएं आयोजित करेगी, जहाँ इच्छुक लोगों को एक सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें अर्बन फार्मिंग के प्रति जागरूक कर इससे जुड़े नवाचारों और टेक्नोलॉजी के बारे में बताया जाएगा। दिल्ली डायलाग एंड डेवलपमेंट कमीशन; अर्बन ग्रो, इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स (आईएसएई) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के साथ मिलकर इस एक्सपो का आयोजन कर रही है। इसका उद्देश्य दिल्ली में अर्बन फार्मिंग को बड़े पैमाने पर फैलाना और इसे एक आंदोलन बनाना है। एक्सपो में अर्बन फार्मिंग के नवाचार, इससे जुड़े तकनीकी (बागवानी-इंजीनियरिंग), आर्थिक- सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं से जुड़ी चीजे और सत्र शामिल हैं। दिल्ली डायलाग एंड डेवलपमेंट कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह ने कहा कि लंदन, सिंगापुर आदि शहरों में अर्बन फार्मिंग एक फलते-फूलते उद्योग के रूप में उभरी है और क्यूबा जैसे कुछ देशों में अर्बन और पेरी-अर्बन फार्मों द्वारा लगभग 60 प्रतिशत सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उत्सुकता के बावजूद, भारत में अर्बन फार्मिंग अब तक केवल व्यापारिक किसानों के वर्ग तक सीमित है और अब भी आम लोगों के बीच पर्याप्त महत्व प्राप्त नहीं कर पाई है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि यह एक्सपो अर्बन फार्मिंग पर चर्चा करने के लिए समर्पित है जो जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, कृषि भूमि क्षेत्र में कमी, प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता में गिरावट जैसे संकटों के बीच में एक विकल्प के रूप में उभरा है। अर्बन फार्मिंग प्रोजेक्ट्स, स्मार्ट शहरों के लिए शहरी नियोजन का अभिन्न अंग होने चाहिए। अर्बन फार्मिंग में विशेष परिस्थितियों के लिए बीज की किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है और पूसा संस्थान वर्टिकल फार्मिंग, एरोपोनिक्स, हाइड्रोपोनिक्स, प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन आदि के क्षेत्र में बेहतर टेक्नोलॉजी तैयार करने को लेकर काम कर रही है। हम अर्बन फार्मर्स को रिसर्च सपोर्ट के साथ ट्रेनिंग देंगे| इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियर्स (आईएसएई) के अध्यक्ष डॉ. इंद्र मणि मिश्रा ने कहा, “दिल्ली के माध्यम से देश के लिए ये एक संदेश है कि शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट अर्बन फार्मिंग की जरूरत है ताकि शहरी क्षेत्रों में लोग स्वयं अपने लिए पौष्टिक भोजन उगा सके और अवशिष्ट उर्वरकों से बच सके। इस प्रकार प्राकृतिक और स्वस्थ भोजन लेने से हमारा समाज मजबूत और रोग मुक्त बनेगा जो एक स्वस्थ और मजबूत देश के निर्माण में भागीदार बनेगा।

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