बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की मंजूरी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के याेगी सरकार के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मंजूरी दे दी है। इसके तहत बुंदेलखंड के सभी सात जिलों के 47 विकास खंडों में प्राकृतिक खेती के छोटे छोटे क्लस्टर बनाये जायेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को दो चरण में बढ़ावा देने सहित 55 प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। बैठक के बाद कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने संवाददाताओं को बताया कि बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती हेतु प्रत्येक विकास खण्ड द्वारा 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती के लिये 470 क्लस्टर बनाकर रसायन रहित खेती की जाएगी। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार 235 क्लस्टर पहले चरण में बनेंगे और उसके अगले चरण में 235 अन्य क्लस्टर बनाये जाएंगे। शाही ने कहा कि 500 हेक्टेयर से शुरु किया जा रहा प्राकृतिक खेती का सिलसिला अगले पांच साल में 23,500 हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि इस इलाके में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये 68.83 करोड़ रुपये की व्यय राशि भी मंजूर की गयी है। उन्होंने बताया कि 50 हेक्टेयर कृषि भूमि का एक क्लस्टर बनाया जायेगा और इसमें गाय पालने वाले या गौशाला की गाय लेने के इच्छुक किसानों काे ही प्राथमिकता दी जायेगी। शाही ने कहा कि इससे न सिर्फ कृषि भूमि की उर्वरता बढ़ेगी बल्कि बुंदेलखंड में आवारा गोवंश की समस्या से भी निजात मिलेगी। साथ ही रासायनिक उर्वरक पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। बैठक में पारित अन्य प्रस्तावों के बारे में उन्होंने बताया कि सरकार ने 18 नई नगर पंचायतों का गठन फिर से करने और 20 नगर निकायों की सीमा का विस्तार करने का फैसला किया गया।
नई गठित होने वाली नगर पंचायतों में प्रतापगढ़ जिले में कटरा गुलाब बाजार और हीरागढ़ बाजार, बलरामपुर जिले में गैंसड़ी, फतेहपुर जिले में खखेरू, देवरिया जिले में तरकुलवा, पथरदेवा और बैतालपुर, एटा जिले में मिरहची, गोंडा जिले में तरबगंज और धमिपुर, संतकबीरनगर जिले में हैसर बाजार धनघटा तथा गोरखपुर जिले में घग्सरा शामिल हैं। इनके अलावा जिन पंचायतों का सीमा विस्तार किया गया है उनमें राजापुर (चित्रकूट), मठौध, पाली हरदोई, कटरा मेदनी गंज (प्रतापगढ़), भगवंतनगर (उन्नाव), सहपऊ (हाथरस), मलिहाबाद (लखनऊ), बड़हलगंज (गोरखपुर), महराजगंज (आजमगढ़), अमिला (मऊ), पचपेड़वा (बलरामपुर), कुरारा (हमीरपुर), सलोंन (रायबरेली), महोली (सीतापुर), नगरपालिका (अमरोहा),नगरपालिका परिषद महमूदाबाद (सीतापुर) शामिल हैं। शाही ने बताया कि बैठक में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में सहूलियत हेतु श्रम विभाग के नियमो में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया है। इसके तहत 2 साल की सज़ा के प्रावधान को खत्म कर दिया गया। इसके अलावा मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम को अनुमोदन जारी करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। इसके तहत देश भर में चुने गये 120 ‘आकांक्षी जिलों’ में शामिल उत्तर प्रदेश के आठ जिलों की तर्ज पर राज्य सरकार ने ऐसे 100 विकास खंडों को विकसित करने का लक्ष्य तय किया है जो सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होने में पीछे रह गये हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के तहत आईटी एवं अन्य क्षेत्रों के 100 शोधार्थियों को इन विकास खंडों में तैनात किया जायेगा। इन्हें 20 हजार रुपये प्रतिमाह फैलोशिप दी जायेगी। ये लोग उस क्षेत्र की जरूरतों काे चिन्हित कर इनके समाधान ओर प्राथमिकताओं के बारे में सुझाव देंगे। इसका मकसद हर विकास खंड का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) काे बढ़ाना है। जिससे सतत विकास लक्ष्यों को हासिल किया जा सके। बैठक में किये गये अन्य फैसलों के बारे में उन्होंने बताया कि उप्र में ‘एक ट्रिलियन डाॅलर की इकोनॉमी’ के अध्ययन हेतु कंसल्टेंट कम्पनी का चयन कर, डिलाइट इंडिया को चयनिय किया गया है। इसके अलावा जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों के सम्बंध में पेश प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है। बैइक में उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के नोएडा कैम्पस के रूप में मान्यता देने के प्रस्ताव के अलावा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत दो निजी विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा और मथुरा में स्थापित किये जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी।