डूरंड कप के ट्राफी टूर को थल और वायुसेना प्रमुखों ने किया रवाना
नई दिल्ली। थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे,वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) अध्यक्ष कल्याण चौबे ने शुक्रवार को 132वें डूरंड कप ‘ट्रॉफी टूर’ को हरी झंडी दिखाई। दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक समारोह में देश के सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट के ट्राफी टूर को हरी झंडी दिखायी गयी। इस मौके पर बड़ी तादाद में फुटबाल प्रशंसक और प्रतिष्ठित खेल हस्तियां मौजूद थी। यह टूर्नामेंट तीन अगस्त से तीन सितंबर के बीच कोलकाता में चोला जायेगा। डूरंड कप एशिया का सबसे पुराना और दुनिया का तीसरा सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसमें देश भर के शीर्ष भारतीय फुटबॉल क्लब भाग लेते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा आयोजित डूरंड कप वर्षों से भारत की सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल प्रतिभाओं के लिए प्रजनन स्थल रहा है। उद्घाटन संस्करण 1888 में शिमला में हुआ था, जब इसकी शुरुआत एक आर्मी कप के रूप में हुई थी, जो केवल भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों के लिए खुला था, लेकिन जल्द ही इसे नागरिक टीमों के लिए भी खोल दिया गया।
डूरंड कप टूर्नामेंट अनोखा है जहां विजेता टीम तीन ट्रॉफियां लेकर जाती है, यानी डूरंड कप (एक रोलिंग ट्रॉफी और मूल पुरस्कार), शिमला ट्रॉफी (एक रोलिंग ट्रॉफी और पहली बार 1904 में शिमला के निवासियों द्वारा दी गई) और प्रेसिडेंट्स कप (स्थायी रूप से रखने के लिए और पहली बार 1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रस्तुत किया गया था। मेगा इवेंट के लिए कोलकाता पहुंचने से पहले अगले एक महीने तक ट्रॉफी टूर के हिस्से के रूप में तीन ट्रॉफियां देश भर में घूमेंगी और शिमला, उधमपुर, जयपुर, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, कोकराझार, गुवाहाटी और शिलांग जैसे कुछ प्रमुख शहरों में प्रदर्शित होंगी। टूर्नामेंट के 132वें संस्करण में नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की टीमों सहित 24 टीमें भाग लेंगी। विदेशी टीमें 27 साल के अंतराल के बाद टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही हैं। यह टूर्नामेंट सभी क्लब टीमों के लिए खुला है और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के तत्वावधान में डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट सोसाइटी (डीएफटीएस) द्वारा आयोजित किया जाता है।