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योग सिद्धांतों से शुरू हो सकती है अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नयी संस्कृति : जोशी

नयी दिल्ली।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सह-संस्थापक और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि योग सिद्धांतों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता की जाए तो अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संचालन की नयी संस्कृति तैयार की जा सकती है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून के बयान “हमें हर बातचीत से पहले यह (योग) करना चाहिए ताकि हम शांत दिमाग से काम कर सकें” का ज़िक्र करते हुए कहा कि कुछ सार्थक सोच सामने आई है। डॉ जोशी ने ‘मानवता के लिए योग – अयंगर योग के माध्यम से इलाज’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “यह तर्क दिया जा सकता है कि यदि शांत मन के साथ-साथ योग सिद्धांतों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता की जा सकती है, तो भविष्य में विश्व मामलों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संचालन की एक नई संस्कृति विकसित हो सकती है। शायद इससे एक शांतिपूर्ण और अहिंसक ग्रह बन सकता है। योग और विज्ञान के सामंजस्य की ऐसी संभावना पर प्रबुद्ध वैश्विक दिमागों को गंभीरता से विचार करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस योग के सामान्य लाभों पर बल देने के अलावा यह सोचने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए कि शांति, सद्भाव और खुशी के लिए एक शांतिपूर्ण बदलाव कैसे लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मानव जाति समाज का अभूतपूर्व विखंडन अनुभव कर रही है। डॉ जोशी ने कहा, “मानव जाति समाज के एक अभूतपूर्व विखंडन और परिवार के ध्रुवीकरण का गवाह बन रही है। लोग अपने सामाजिक अंतःक्रियाओं को भावनात्मक स्तर पर नहीं बल्कि कार्यात्मक शर्तों पर परिभाषित करते हैं। सभी राष्ट्र अपनी समस्याओं को समझने और उनका निदान करने में असमर्थ हैं। मानवता के जीवित रहने और फलने-फूलने के लिए, योग एक महत्वपूर्ण संसाधन है क्योंकि योग शारीरिक स्वास्थ्य और भौतिक संपदा से परे है।

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