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जलवायु परिवर्तन की लड़ाई को जनांदोलन में बदलना होगा: पुरी

नयी दिल्ली, 

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ाई को सफ़ल बनाने के लिये सरकारी कार्यक्रम को “जनांदोलन” में बदलना होगा।  पुरी ने ‘लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज’ शिक्षण कार्यक्रम के लॉन्च पर कहा, “ मैंने विकसित और विकासशील देशों में समय बिताया है, कुछ तकनीकों के प्रयोग को उन्नति करते देखा है, मगर तकनीक का होना एक बात है और आंकड़े होना, उसका विश्लेषण करके लक्ष्य तय करना दूसरी बात है। पुरी ने सरकारी अभियानों में जन-भागीदारी के महत्व पर बल देते हुए कहा, “अंतत: मैंने जो एक बात सीखी है, वह यह कि चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो, या कुछ और, हमें सरकार के कार्यक्रम को जनता का कार्यक्रम बनाना होगा जो आगे चलकर जनांदोलन बनेगा। मेरा मानना है कि हमारे शहरों में, हम इसी तरफ़ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं आप सबको बधाई देना चाहता हूं कि आपने यह कार्यक्रम शुरू किया। यह महत्वपूर्ण है कि आप शहरी स्थानीय निकायों और अन्य ज़िम्मेदार नागरिक निकायों के रूप में हितधारकों को इसमें शामिल कर पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (रानकासं) और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) भारत ने संयुक्त रूप से शुरू किये गये ‘लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज’ (एलसीसीएम) नामक शिक्षण कार्यक्रम की घोषणा की है जिसका उद्देश्य भारत में क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों में जलवायु कार्रवाई का नेतृत्व करने के लिए शहरी पेशेवरों के बीच क्षमता निर्माण करना है।


पुरी ने कहा,“पिछले आठ वर्षों में, मोदी सरकार ने स्थिरता के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। ग्लासगो में हुए कोप 26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पंचामृत कार्य योजना’ के माध्यम से जलवायु परिवर्तन पर भारत की वृहद कार्यसूची की घोषणा की, जिसमें भारत में कार्बनडाई आक्साइड उत्सर्जन को 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य करने की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि आज शुरू किया गया, एलसीसीएम कार्यक्रम इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करता है कि इस अभियान का नेतृत्व करने वालों को उनके प्रशिक्षण के संदर्भ में कैसे उन्मुख किया जा सकता है और वे इस दिशा में कैसे अग्रसर होंगे। हम एक क्रांतिकारी कदम के बारे में सोच रहे हैं। राष्ट्रीय नगर-कार्य संस्थान (एनआईयूए) के निदेशक श्री हितेश वैद्य ने कहा,“भारत में शहरी क्षेत्रों के लिए निवेश की दर को देखते हुए सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सेवाओं का महत्व सर्वोपरि है। हमें मौजूदा और भविष्य के निवेश में जलवायु संबंधी कार्रवाई को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान एलसीसीएम के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के संदर्भ में शहरी मुद्दों के गतिशील संवाद पर क्षमता निर्माण और ज्ञान प्रसार के अपने लक्ष्य की दिशा में काम करेगा। डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ डॉ ओपी अग्रवाल ने एलसीसीएम कार्यक्रम, इसकी संरचना और भारत में शहरी जलवायु नेतृत्व को बेहतर बनाने के उद्देश्य को प्रस्तुत करते हुए कहा,“ पेशेवरों के करियर के बीच में की उनकी क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण चुनौती सही प्रकार के शिक्षाशास्त्र का चुनाव है। एक ऐसी शिक्षण शैली की आवश्यकता है जो केवल व्याख्यान सुनने के बजाय सीखने को प्रोत्साहित करती हो। एलसीसीएम ने इस आवश्यकता को पूरी तरह पहचाना है और इस तरह की शिक्षण शैली को अपनाया है।

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