डीएसजीएमसी सदस्यों ने अपनी अलग धार्मिक पार्टी बनाने का लिया फैसला
नयी दिल्ली,
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने बुधवार को कहा कि डीएसजीएमसी के सदस्यों ने अपनी अलग धार्मिक पार्टी बनाने और केवल धार्मिक क्षेत्र के लिए काम करने का निर्णय लिया है। कालका और श्री काहलों ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मंगलवार को सभी निर्वाचित डीएसजीएमसी सदस्यों की बैठक हुई थी, जिसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि सभी सदस्य केवल धार्मिक क्षेत्र के लिए ही काम करेंगे। श्री कालका ने कहा कि जब तक वह डीएसजीएमसी के अध्यक्ष हैं, उनके परिवार से कोई भी राजनीतिक चुनाव नहीं लड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर डीएसजीएमसी के किसी चुने हुए सदस्य या उसके किसी पारिवारिक सदस्य को राजनीतिक चुनाव लड़ना है तो वह केवल व्यक्तिगत तौर पर यह चुनाव लड़ सकता है। उनकी धार्मिक पार्टी के नाम पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकेगा। दोनों पदाधिकारियों ने कहा,“ नई धार्मिक पार्टी का नाम सिंह सभाओं और अन्य पंथक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ विचार करने के बाद तय किया जाएगा। यह फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि संगत ने हमें अपने धार्मिक प्रतिनिधि के रूप में चुना है, इसलिए हम केवल धार्मिक क्षेत्र के लिए काम करेंगे और केवल धार्मिक मुद्दे उठाएंगे।
मीडिया के एक सवाल के जवाब में श्री कालका और श्री काहलों ने कहा कि उनकी धार्मिक पार्टी का मनजीत सिंह जीके और सरना भाइयों के साथ कोई समझौता नहीं होगा, क्योंकि उनके अपनी राजनीतिक एजेंडे हैं। जीके ने जहां गुरु की गोलक को लूटा है, वहीं सरना भाई पंथ विरोधी तथा श्री अकाल तख्त के विरोधी हैं, इसलिए उनके साथ किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं हो सकता। सिख नेताओं ने अन्य पार्टियों के सदस्यों से भी अपील करते हुए कहा कि वह संगत की सेवा के लिए उनका साथ दें, क्योंकि संगत ने उन्हें समर्थन दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि नई धार्मिक पार्टी का नाम शिरोमणि अकाली दल जरूर होगा, लेकिन यह मास्टर तारा सिंह, संत फतिह सिंह तथा अन्यों लोगों द्वारा बनाए गए मूल अकाली दल के लिए तय किए गए सिद्धांतों पर चलेगी और अकाल तख्त साहिब की सरपरस्ती तथा सिखी परंपरा/सिद्धांत के मुताबिक काम करेगी।