हैदराबाद मुठभेड़ मामला: 10 पुलिस अधिकारियों पर हत्या के मुकदमे की सिफारिश
नयी दिल्ली,
उच्चतम न्यायालय के नियुक्त एक जांच आयोग ने हैदराबाद के चर्चित पुलिस मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए इसमें शामिल 10 पुलिस अधिकारियों पर तीन नाबालिगों समेत चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने तथा सबूत मिटाने का मुकदमा चलाने की सिफारिश की है। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. एस. सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यी आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट शुक्रवार को अदालत को सौंप दी। आयोग के अन्य सदस्यों में बांबे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बलदोता और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक डी. आर. कार्तिकेयन शामिल थे। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 6 दिसंबर 2019 की मुठभेड़ की जांच में पाया कि एक महिला पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के संदिग्धों की मौत पुलिस दल द्वारा चलाई गई गोलियों से हुई थी। पुलिस पार्टी ने आत्मरक्षा में गोलियां नहीं चलाई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या के 4 आरोपियों में तीन नाबालिग थे। पुलिस ने हत्या के इरादे से जानबूझकर उन पर गोलियां बरसाई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 27 वर्षीय एक पशु चिकित्सक के सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों की उसी राजमार्ग के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जहां महिला का जला हुआ शव मिला था। महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद इस मामले में हैदराबाद में काफी जन आक्रोश था। आयोग ने 387 पृष्ठों की रिपोर्ट में कहा, “जिस तरह मॉब लिंचिंग अस्वीकार्य है, उसी तरह ‘तत्काल न्याय’ का कोई भी विचार है। किसी भी समय कानून का शासन कायम होना चाहिए। अपराध के लिए सजा केवल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया से होनी चाहिए।