अवमानना केस: प्रशांत भूषण को बयान पर पुनर्विचार करने के लिए दो दिन का समय

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सजा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। भूषण की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की दलील देते हुए सजा पर सुनवाई टालने का आग्रह किया गया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर पुनर्विचार के लिए दो-तीन दिन का समय दिया है। बता दें कि प्रशांत भूषण को दो ट्वीट में न्यायपालिका की गरिमा को कम करने वाली टिप्पणी के लिए अवमानना का दोषी ठहराया गया है। इसमें छह महीने तक की सजा का प्रावधान है।

प्रशांत भूषण के वकील दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पुनर्विचार याचिका मेरा अधिकार है। ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि मैं 24 घंटे के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करूं। पुनर्विचार याचिका दायर करने की अवधि 30 दिन है। इस पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दोषी ठहराने का फैसला सजा सुनाने के बाद ही पूरा होगा। कोर्ट ने भूषण के वकील से कहा है कि अगर सजा सुनाई गई तो भी पुनर्विचार याचिका तक उस पर अमल नही होगा। लेकिन कोर्ट ने कहा कि वह सजा पर सुनवाई टालने के इच्छुक नहीं हैं।

अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण ने सजा के लिए होने वाली सुनवाई स्थगित करने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था। अवमानना का दोषी ठहराते हुए 14 अगस्त के अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि अगर जनता का न्यायपालिका से विश्वास डिगाने के लिए हमला किया गया हो तो कड़ाई से निपटा जाना चाहिए।

जस्टिस अरण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने 27 जून को प्रशांत भूषण के दो विवादित ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान के मामले में यह फैसला सुनाया था। उन ट्वीट्स में भूषण ने वर्तमान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की बाइक वाली फोटो पर टिप्पणी की थी और दूसरे ट्वीट में न्यायपालिका व पिछले चार प्रधान न्यायाधीशों की कार्यप्रणाली पर आक्षेप लगाए थे।

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