कृषि क्षेत्र में किये जा रहे निवेश से किसानों की दशा दिशा बदलेगी :तोमर

नई दिल्ली, 

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने, 10 हजार नए किसान उत्पादक समूह( एफपीओ) बनाने तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान में कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रूपये से ज्यादा के पैकेज से किसानों की दशा-दिशा बदलने वाली हैं। श्री तोमर ने दुनिया की सबसे बड़ी- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाय) के पांच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सभी राज्यों के साथ मिलकर किए एक कार्यक्रम में कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी इस कृषि बीमा योजना में किसानों को क्लेम के 90 हजार करोड़ रूपए मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि पीएमएफबीवाय सफल रही है, जिसमें केंद्र के साथ राज्यों का योगदान है। देश में कृषि के महत्व को हम भली-भांति जानते है। रोजगार की दृष्टि से देंखे तो देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है, अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देंखे तो कोविड के संकट में भी कृषि ने अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है।

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कृषि क्षेत्र प्रतिकूल परिस्थितियों का मुकाबला करने में सक्षम रहता है। एक समय था जब खाद्यान्न को लेकर हम चिंतित रहते थे, लेकिन सरकार की किसान हितैषी नीतियों, किसानों के परिश्रम व कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान के कारण खाद्यान्न की दृष्टि से आज हम अभाव वाला देश नहीं, बल्कि अधिशेष राष्ट्र है। अब चिंता उत्पादन को लेकर नहीं है, बल्कि इसे प्रबंधित करने को लेकर है। श्री तोमर ने कहा कि खाद्यान्न के अतिरिक्त दूध, मत्स्य, बागवानी आदि के उत्पादन में भी विश्व में भारत पहले या दूसरे स्थान पर है। आज फसल प्रबंधन को लेकर मंथन हो रहा है। फसलों के विविधीकरण, पानी की बचत, लागत में कमी, महंगी फसलों की ओर किसानों के आकर्षित होने, प्रोसेसिंग, किसानों को उपज का वाजिब दाम दिलाने, उनके द्वारा प्रौद्योगिकी का पूरा उपयोग व वैश्विक मानकों के अनुसार उत्पादन करने ताकि हमारे उत्पादों का निर्यात बढ़ सकें, इन सबको लेकर सरकार राज्यों के साथ मिलकर सफलतापूर्वक काम कर रही है। श्री तोमर ने कहा कि सरकार द्वारा अच्छी नीतियां बनाने, सब्सिडी देने और आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि के बावजूद किसानों को प्राकृतिक स्थितियों पर निर्भर रहना पड़ता है। सब कुछ अच्छा करने के बावजूद यदि प्रकृति की नाराजगी है तो उसका नुकसान किसानों को होता है, जिससे किसानों को बचाने के उद्देश्य से फसल बीमा योजना की कल्पना की गई व पीएमएफबीवाई के नाम से, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 13 जनवरी 2016 को मंजूरी देकर अप्रैल 2016 से इसे लागू कर दिया गया था। कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को भी पीएमएफबीवाय से अधिकाधिक जोड़ने के लिए वहां की राज्य सरकारों के अंशदान के अनुपात को 90:10 कर दिया गया है, जो पहले 50:50 था। इसे स्वैच्छिक बनाने व प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने के साथ आज यह योजना किसानों के लिए प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों में एक बड़ा सुरक्षा कवच है, जिसका लाभ देशभर में किसानों को मिल रहा है। फसल बीमा ऐप के माध्यम से भी किसान अब अपने आवेदन की स्थिति और कवरेज के विवरण को घर बैठे जान सकते हैं और फसल नुकसान की सूचना भी दे सकते है। श्री तोमर ने कहा कि खरीफ-2016 में योजना के शुभारंभ से खरीफ-2019 तक किसानों ने प्रीमियम के रूप में 16,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया और फसलों के नुकसान के दावों के रूप में किसानों को 86,000 करोड़ रुपये मिले हैं अर्थात् किसानों को प्रीमियम के मुकाबले पांच गुना से ज्यादा राशि दावों के रूप में मिली है।

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